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Sambhal Violence Report : 450 पन्नों की चौंकाने वाली रिपोर्ट! हिंदू आबादी 45% से 15% पर, अलकायदा का अड्डा बना शहर?

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उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय न्यायिक समिति ने 450 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है. इस रिपोर्ट में न केवल हालिया दंगों का ब्यौरा है, बल्कि 1947 से अब तक संभल में हुई 15 सांप्रदायिक हिंसाओं का इतिहास और जनसांख्यिकी परिवर्तन का भी खुलासा किया गया है. सूत्रों के मुताबिक संभल की हिंदू आबादी आजादी के समय 45% थी, जो अब घटकर 15-20% रह गई है. अलकायदा और हरकत-उल-मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के बढ़ते प्रभाव ने भी चिंता बढ़ा दी है. आइए, इस रिपोर्ट की प्रमुख बातें समझते हैं-

हिंदू आबादी में 30% की कमी
रिपोर्ट के अनुसार संभल नगरपालिका क्षेत्र में 1947 में 55% मुस्लिम और 45% हिंदू आबादी थी. बार-बार होने वाली हिंसा और कथित तुष्टिकरण की राजनीति के कारण हिंदू आबादी अब केवल 15-20% रह गई है, जबकि मुस्लिम आबादी 85% हो गई है. सूत्रों का दावा है कि हर दंगे में हिंदुओं को निशाना बनाया गया, जिससे कई परिवार पलायन को मजबूर हुए. यह जनसांख्यिक बदलाव राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है.

24 नवंबर 2024 की हिंसा का सच
रिपोर्ट में 24 नवंबर 2024 की हिंसा को सुनियोजित साजिश बताया गया है. यह हिंसा शाही जामा मस्जिद के ASI सर्वे के दौरान भड़की, जब वजूखाने की जांच के दौरान अफवाहें फैलीं. समिति ने सांसद जियाउर रहमान बर्क के 22 नवंबर के भड़काऊ बयान को हिंसा का ट्रिगर बताया, जिसमें उन्होंने कहा था, “हम इस देश के मालिक हैं, गुलाम नहीं. मस्जिद थी... है और रहेगी...” इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई. 29 पुलिसकर्मी घायल हुए और 159 लोगों पर 12 FIR दर्ज की गईं.

आतंकी संगठनों का गढ़
रिपोर्ट में संभल को अलकायदा और हरकत-उल-मुजाहिदीन का अड्डा बताया गया है. सूत्रों के अनुसार दंगों में बाहरी लोगों को शामिल किया गया था और हिंसा में इस्तेमाल हथियार यूके, अमेरिका और जर्मनी में बने थे. पुलिस की तैनाती ने हिंदू मोहल्लों में बड़े नरसंहार को रोका.

सियासी आरोप-प्रत्यारोप का दौर
समाजवादी पार्टी ने BJP पर सर्वे के जरिए हिंसा भड़काने का आरोप लगाया, जबकि BJP का कहना है कि यह सांप्रदायिक ताकतों की साजिश थी. हरिहर मंदिर को लेकर भी नया विवाद उभरा है जिसे बाबर-काल से जोड़ा जा रहा है.

अब आगे क्या होगा ?
रिपोर्ट में भविष्य में हिंसा रोकने के सुझाव दिए गए हैं, जो अब कैबिनेट और विधानसभा में पेश होगी. यह सवाल उठता है कि क्या सरकार इस संवेदनशील मुद्दे पर ठोस कदम उठाएगी? संभल की हिंसा और जनसांख्यिक बदलाव ने पूरे देश का ध्यान खींचा है. क्या यह रिपोर्ट सांप्रदायिक सौहार्द की नई राह खोलेगी?

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