Sambhal Report: सपा ने 1976 के आरोपियों को बनाया ‘लोकतंत्र सेनानी’! डेमोग्राफी चेंज पर हुआ ये बड़ा खुलासा
- Ankit Rawat
- 29 Aug 2025 05:48:09 PM
उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर 2024 को भड़की हिंसा की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने 450 पन्नों की सनसनीखेज रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी है। इस रिपोर्ट में समाजवादी पार्टी (सपा) की पूर्व सरकार पर संगीन आरोप लगाए गए हैं। दावा है कि सपा ने न केवल सांप्रदायिक हिंसा में पक्षपात किया, बल्कि संभल की जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) को बदलने में भी भूमिका निभाई। रिपोर्ट के अनुसार 1976 में संभल में हुए दंगों में हिंदुओं का “खुलेआम नरसंहार” हुआ। उस समय के सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क पर मुस्लिम समुदाय का पक्ष लेने का आरोप लगा। हैरानी की बात ये है कि 2006 में सपा सरकार ने इन दंगों के आरोपियों को “लोकतंत्र सेनानी” घोषित कर सम्मानित किया। इतना ही नहीं दंगों के बाद मुस्लिम समुदाय को मुआवजा दिया गया जबकि हिंदू पीड़ितों को कोई राहत नहीं मिली। इस कदम को हिंदू समुदाय के खिलाफ सपा की तुष्टिकरण नीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
हरिहर मंदिर विवाद का भी जिक्र
रिपोर्ट में हरिहर मंदिर विवाद का भी जिक्र किया गया है। 1978 में शफीकुर्रहमान बर्क और उनके दादा की अगुवाई में मंदिर के हवन कुंड के पास होने वाले कीर्तन पर पाबंदी लगाई गई। इसके बाद वहां वजू का स्थान बना दिया गया। जांच आयोग ने इसे डेमोग्राफी बदलाव की सुनियोजित साजिश का हिस्सा माना है। आजादी के समय संभल नगर पालिका क्षेत्र में हिंदू आबादी 45% थी जो अब घटकर 15-20% रह गई है। इस गिरावट के लिए बार-बार होने वाली हिंसा (1947 से 2019 तक 15 दंगे) और सपा की तुष्टिकरण नीतियों को जिम्मेदार ठहराया गया है।
समुदाय विशेष को मिला बढ़ावा!
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सपा की नीतियों ने एक समुदाय विशेष को बढ़ावा दिया, जिससे हिंदू आबादी में कमी आई। इस खुलासे ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। बीजेपी और अन्य विपक्षी दल सपा पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगा रहे हैं। दूसरी ओर सपा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे सत्तारूढ़ दल की साजिश करार दिया। सपा प्रवक्ता का कहना है कि ये रिपोर्ट तथ्यों को तोड़-मरोड़कर समाज में तनाव पैदा करने की कोशिश है। बहरहाल ये मामला अब सियासी जंग का केंद्र बन चुका है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या संभल का ये डेमोग्राफिक बदलाव स्वाभाविक है या इसके पीछे कोई सुनियोजित रणनीति थी? इस रिपोर्ट के बाद इस मुद्दे पर और बहस तेज होने की उम्मीद है।
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