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Gyanvapi Case में बड़ा खुलासा: Aurangzeb नहीं था मालिक! वाद मित्र ने कोर्ट में रखी ये दमदार दलीलें

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वाराणसी के चर्चित ज्ञानवापी मामले नया मोड़ आया है। अपर जिला जज सुधाकर राय की अदालत में 1991 के एक मुकदमे से जुड़ी पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई हुई। इस याचिका में हिंदुओं को ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और पूजा-पाठ का अधिकार देने की मांग है। वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने कोर्ट में दमदार दलीलें पेश करते हुए कहा कि औरंगजेब न तो ज्ञानवापी का मालिक था और न ही उसने इसे वक्फ संपत्ति बनाया था। रस्तोगी ने मुगल काल के नियम-कानूनों का हवाला देते हुए बताया कि उस समय बादशाह किसी राज्य पर कब्जा करने के बाद भी जमीन का मालिक नहीं होता था। जमीन का असली मालिक वह होता था जो उसे जोतता या उस पर कब्जा रखता था। बादशाह सिर्फ लगान वसूलता था जिसे हिंदुओं से 'जजिया' और मुसलमानों से 'ओसर' के रूप में लिया जाता था। उन्होंने कहा कि औरंगजेब, अकबर और शाहजहां जैसे शासकों ने भी किले बनाने के लिए जमीन खरीदी थी।

औरगंजेब ने नहीं दिया मस्जिद बनाने का फरमान!
वाद मित्र ने कोलकाता की एशियाटिक सोसाइटी में रखी किताब मआसिर-ए-आलमगिरी का जिक्र किया। इस किताब में औरंगजेब के फरमानों का संकलन है। रस्तोगी ने बताया कि औरंगजेब ने 18 अप्रैल 1669 को विश्वनाथ मंदिर तोड़ने का आदेश दिया था लेकिन वहां मस्जिद बनाने का कोई फरमान नहीं था। इसलिए मस्जिद का निर्माण बादशाही आदेश से नहीं बल्कि स्थानीय मुसलमानों का अनधिकृत काम था। उन्होंने यह भी दलील दी कि विवादित जगह वक्फ संपत्ति नहीं है। अगर वहां कब्र है तो मस्जिद नहीं हो सकती और अगर मस्जिद है तो कब्र नहीं होनी चाहिए। रस्तोगी ने सुप्रीम कोर्ट के राम जन्मभूमि मामले के फैसले का हवाला दिया जहां ऐसी स्थिति को स्पष्ट किया गया था। साथ ही 1936 के एक केस (दीन मोहम्मद बनाम स्टेट फॉर इंडिया) में सब जज ने वहां की कब्रों को हिंदू देवताओं की मूर्तियां माना था जिस पर तब मुस्लिम पक्ष ने कोई ऐतराज नहीं किया था। 

1982 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र
रस्तोगी ने 1982 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी जिक्र किया, जिसमें बनारस की 245 वक्फ संपत्तियों का नोटिफिकेशन अवैध घोषित किया गया था। उनकी दलीलें सुनने के बाद याचिकाकर्ता मुख्तार अहमद अंसारी के वकील ने जवाब देने के लिए समय मांगा। कोर्ट ने इसे मंजूर करते हुए अगली सुनवाई के लिए 1 सितंबर की तारीख तय की है।

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