Chambal-Yamuna की बाढ़ से Etawah में हाहाकार, 7 गांव डूबे, Yamuna खतरे के निशान पर!
- Ankit Rawat
- 07 Sep 2025 01:19:29 PM
इटावा के चकरनगर में चंबल और यमुना नदियों का जलस्तर बढ़ने से स्थिति गंभीर हो चली है। यमुना का पानी चेतावनी निशान 120.92 मीटर को पार कर 121.66 मीटर पर पहुंच गया है। ये खतरे के निशान से सिर्फ 26 सेंटीमीटर नीचे है। चंबल का जलस्तर शनिवार सुबह स्थिर रहा, लेकिन शाम तक 120.64 मीटर से घटकर 120.49 मीटर पर आ गया। इस साल तीसरी बार आई बाढ़ ने सात गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है। ग्रामीणों का जीना मुहाल हो गया है।
गांव डूबे, रास्ते बंद
बाढ़ की वजह से ककरैया, खीरीटी, रानियाँ, हरौली, नीमाडाड़ा, गढ़ा कसदा और डिभोली गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ऐतिहासिक सिद्धनाथ मंदिर, भरेह-चकरपुरा मार्ग और निभी-बाबरपुर मार्ग समेत कई सड़कें बंद हो चुकी हैं। लोग बाढ़ के पानी से होकर जरूरी सामान लाने को मजबूर हैं। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सुरक्षित ठिकानों की तलाश में भटक रहे हैं। पशुपालकों को चारे की भारी किल्लत हो रही है, जिससे उनके मवेशी भूखे मर रहे हैं।
ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ीं
बाढ़ ने ग्रामीणों की जिंदगी को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। खेत पानी में डूब गए हैं, जिससे फसलें बर्बाद हो रही हैं। लोग बाढ़ के पानी में जान जोखिम में डालकर घर से बाहर निकल रहे हैं। कई परिवारों को खाने-पीने की चीजें तक नहीं मिल पा रही हैं। पशुओं के लिए चारा न होने से पशुपालक परेशान हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई खास मदद नहीं पहुंची है। वो नाव, सूखा राशन और पशुओं के लिए चारे की मांग कर रहे हैं।
स्थायी समाधान की मांग
ग्रामीणों ने प्रशासन से बाढ़ की इस समस्या का स्थायी हल निकालने की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि हर साल बाढ़ की मार झेलनी पड़ती है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता। लोग चाहते हैं कि नदियों के किनारों को मजबूत किया जाए और जल निकासी की व्यवस्था सुधारी जाए। ग्रामीणों ने प्रशासन से तुरंत राहत कार्य शुरू करने की अपील की है ताकि उनकी मुश्किलें कम हो सकें। इस बाढ़ ने चकरनगर के सात गांवों में तबाही मचा दी है। लोग प्रशासन के रवैये से नाराज हैं और जल्द मदद की उम्मीद कर रहे हैं। अगर यमुना का जलस्तर और बढ़ा तो हालात और बिगड़ सकते हैं। प्रशासन ने राहत कार्य शुरू करने का भरोसा दिया है, लेकिन ग्रामीणों को तुरंत सहायता चाहिए। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि प्रशासन कितनी जल्दी और प्रभावी कार्रवाई करता है।
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