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आजम खान को डूंगरपुर कांड में जमानत, आखिर क्या है मामला ?

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समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर के डूंगरपुर कांड में जमानत दे दी है। ये फैसला 10 सितंबर 2025 को आया। जस्टिस समीर जैन की बेंच ने अपील लंबित रहने तक बेल मंजूर की। आजम को निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी लेकिन अब अपील पर सुनवाई चलेगी। ठेकेदार बरकत अली को भी 7 साल की सजा के खिलाफ बेल मिल गई। आजम के साथी रिटायर्ड सीओ आले हसन खान का केस अलग चल रहा है। ये राहत आजम के लिए सांसत में सांस लाने वाली है। लेकिन जेल से बाहर आने में अभी वक्त लगेगा।

डूंगरपुर कांड की पूरी कहानी
डूंगरपुर कांड रामपुर के गंज थाने का 2016 का मामला है। सपा सरकार के मंत्री आजम खान ने डूंगरपुर बस्ती को खाली कराने का आदेश दिया था। जेसीबी से घर तोड़े गए और पुलिस छावनी बुला ली गई। अबरार नाम के शख्स ने 2019 में शिकायत की। आरोप था कि आजम रिटायर्ड सीओ आले हसन और ठेकेदार बरकत अली ने मिलकर मारपीट की घर तोड़ा और जान से मारने की धमकी दी। बस्ती के लोगों ने लूट चोरी हमले के 12 मुकदमे दर्ज कराए। 30 मई 2024 को एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम को दोषी ठहराया। 12 अगस्त 2025 को हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रखा। अब जमानत से अपील मजबूत हुई।

रिहाई का रास्ता साफ
जमानत मिलने के बावजूद आजम सीतापुर जेल में रहेंगे। उनके खिलाफ क्वालिटी बार कब्जे का केस लंबित है। 2019 में राजस्व निरीक्षक अंगराज सिंह ने सिविल लाइन थाने में मुकदमा किया। आरोप है कि मंत्री रहते आजम ने जिला सहकारी संघ की 302 वर्ग मीटर जमीन पर बने बार को पत्नी तंजीन फात्मा को 1200 रुपये मासिक किराए पर दे दिया। बाद में बेटे अब्दुल्ला को सह-किरायेदार बनाया। इस मामले में जमानत हाईकोर्ट से होनी बाकी है। आजम के खिलाफ 80 से ज्यादा केस हैं लेकिन ज्यादातर में बेल हो चुकी। बकरी चोरी लाइब्रेरी किताब चोरी जमीन कब्जा जैसे मुकदमों से बाहर हो चुके। एक केस क्लियर होते ही रिहाई पक्की।

सियासी साजिश या कानूनी कार्रवाई?
आजम और समर्थक इन केसों को भाजपा की साजिश बताते हैं। 2017 में यूपी में सत्ता बदली तो रामपुर में आजम के खिलाफ मुकदमे तेज हो गए। डूंगरपुर बस्ती को सपा शासन में प्रशासनिक फैसला कहा जाता है। लेकिन 2019 के बाद पीड़ितों ने जबरन बेदखली का आरोप लगाया। जेल में रहते 2024 लोकसभा चुनाव में आजम ने बेटे अब्दुल्ला को टिकट दिलवाना चाहा लेकिन अखिलेश यादव ने मना कर दिया। बाहर आने पर आजम कोई बड़ा पॉलिटिकल कदम उठा सकते हैं। रामपुर में उनका दबदबा था जो मुकदमों से कमजोर हुआ। परिवार और समर्थक रिहाई का इंतजार कर रहे। सपा में ये फैसला नया ट्विस्ट ला सकता है।

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