राम मंदिर के पास क्यों लगाई गई गिलहरी की मूर्ति? जानें रामायण से जुड़ी ये प्रेरणादायक कहानी
- Shubhangi Pandey
- 12 Sep 2025 11:55:29 AM
अयोध्या में बन रहे भव्य श्रीराम मंदिर के पास हाल ही में एक अनोखी और भावनात्मक मूर्ति स्थापित की गई है। अंगद टीले पर लगाई गई गिलहरी की विशाल मूर्ति अब श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट की ओर से इस मूर्ति को लगाया गया है, जो रामायण में गिलहरी के योगदान को सम्मान देने का प्रतीक है।
मंदिर की ओर निहार रही है गिलहरी
मूर्ति को इस तरह स्थापित किया गया है कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे गिलहरी श्रीराम मंदिर को निहार रही हो। यह दृश्य भावनात्मक भी है और धार्मिक श्रद्धा को भी गहराई से छूता है। मूर्ति केवल एक प्रतीक नहीं बल्कि एक महान संदेश को भी दर्शाती है, जो भगवान श्रीराम ने स्वयं दिया था।
रामायण में क्या था गिलहरी का योगदान?
वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब राम सेतु का निर्माण हो रहा था, तब भगवान राम की वानर सेना समुद्र पर पुल बनाने में लगी थी। सभी वानर बड़े-बड़े पत्थर समुद्र में डाल रहे थे। वहीं, एक छोटी सी गिलहरी भी रेत और कंकड़ लाकर उस पुल निर्माण में मदद कर रही थी। वानरों ने उसका मजाक उड़ाया और उसे वहां से हटने को कहा। लेकिन जब ये बात भगवान श्रीराम को पता चली, तो उन्होंने गिलहरी के कार्य की भूरी-भूरी प्रशंसा की और कहा कि उसका समर्पण और प्रयास भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना वानरों का।
गिलहरी की पीठ पर राम के स्नेह की तीन रेखाएं
कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने गिलहरी को प्यार से उठाया और अपनी उंगलियों से उसकी पीठ को सहलाया। उनकी तीन उंगलियों के निशान गिलहरी की पीठ पर उभर आए, जो आज भी गिलहरियों की पीठ पर देखे जा सकते हैं। ये रेखाएं भगवान के स्नेह और आशीर्वाद की प्रतीक मानी जाती हैं।
हर छोटा योगदान भी होता है मूल्यवान
श्रीराम ने गिलहरी के इस छोटे से प्रयास को सम्मान देकर ये सिखाया कि कोई भी योगदान छोटा नहीं होता। निष्ठा और भक्ति से किया गया कोई भी कार्य व्यर्थ नहीं जाता। यही संदेश आज भी हमें प्रेरणा देता है कि किसी भी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए।
मूर्ति बन गई श्रद्धा और सीख का प्रतीक
राम मंदिर परिसर में स्थापित की गई ये गिलहरी की मूर्ति अब ना सिर्फ एक आकर्षण है बल्कि श्रद्धा, समर्पण और प्रेरणा का प्रतीक भी बन चुकी है। आने वाले समय में यह लाखों भक्तों को रामायण की उस महान सीख की याद दिलाती रहेगी, जिसमें भगवान ने सबसे छोटे जीव के प्रयास को भी उतनी ही श्रद्धा से स्वीकार किया।
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