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Greater Noida की मां-बेटे की दुखद कहानी, काशीपुर में अंतिम संस्कार, अकेलापन बना काल!

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ग्रेटर नोएडा वेस्ट की ऐस सिटी सोसाइटी में हुए एक दुखद हादसे ने सबको झकझोर कर रख दिया। शनिवार सुबह एक मां और उनके बेटे ने 13वीं मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी। मां साक्षी और उनके बेटे दक्ष की इस दर्दनाक कहानी ने न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरी सोसाइटी को सदमे में डाल दिया। रविवार को उत्तराखंड के काशीपुर में गढ़ी नेगी गांव में दोनों का अंतिम संस्कार हुआ। इस घटना ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर क्या वजह थी कि एक मां को अपने बेटे के साथ इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा।

पड़ोसियों को नहीं थी भनक
पुलिस जांच में सामने आया कि साक्षी ने अपनी जान देने से कुछ देर पहले अपनी पड़ोसी से मुलाकात की थी। उनकी घरेलू सहायिका छुट्टी पर थी इसलिए साक्षी ने पड़ोसी की सहायिका से घर साफ करने को कहा था। बातचीत के दौरान पड़ोसी को जरा भी अंदाजा नहीं था कि साक्षी और उनका बेटा दक्ष कुछ ही पलों में ऐसा कदम उठा लेंगे। पड़ोसियों का कहना है कि साक्षी हमेशा सामान्य दिखती थीं लेकिन उनके चेहरे पर बेटे की बीमारी की चिंता साफ झलकती थी। 

बेटे की बीमारी बनी वजह 
ऐस सिटी सोसाइटी के ई-टावर में रहने वाले दर्पण चावला के परिवार में ये हादसा शनिवार सुबह करीब 10 बजे हुआ। साक्षी का बेटा दक्ष मानसिक बीमारी से जूझ रहा था। कई जगह इलाज करवाने के बावजूद उसकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था। बेटे की इस हालत से साक्षी बेहद परेशान रहती थीं। बताया जाता है कि वो इस तनाव को सहन नहीं कर पाईं और आखिरकार बेटे के साथ अपनी जान दे दी। पुलिस ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट परिवार को सौंप दी है और मामले की जांच कर रही है।

अकेलापन: शहरों का नया खतरा  
मनोचिकित्सक डॉ. आनंद सिंह का कहना है कि बड़े शहरों की सोसाइटी में रहने वाले लोग अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं। छोटी-छोटी बातें उन्हें इतना परेशान कर देती हैं कि वो अपनी जान देने जैसा कदम उठा लेते हैं। डॉ. आनंद के मुताबिक काउंसलिंग भी कई बार इस अकेलेपन को दूर करने में नाकाम साबित हो रही है। वो सलाह देते हैं कि लोगों को अपने आसपास के लोगों से खुलकर बात करनी चाहिए और अकेलेपन को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए। 

सोसाइटी में फैला सन्नाटा  
इस हादसे के बाद ऐस सिटी सोसाइटी में सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग समझ नहीं पा रहे कि आखिर ये सब कैसे हो गया। हर कोई इस घटना से सकते में है और साक्षी और दक्ष की याद में दुखी है। ये घटना न सिर्फ एक परिवार की त्रासदी है बल्कि ये समाज के लिए भी एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि क्या हम अपने आसपास के लोगों की परेशानियों को समझ पा रहे हैं? इस हादसे ने मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक जुड़ाव के मुद्दे को फिर से सामने ला दिया है। जरूरत है कि हम अपने आसपास के लोगों से जुड़ें और उनकी परेशानियों को समझने की कोशिश करें। साक्षी और दक्ष की ये कहानी हमें सिखाती है कि अकेलापन कितना खतरनाक हो सकता है। आइए, अपने आसपास के लोगों का ध्यान रखें और उन्हें ये एहसास दिलाएं कि वो अकेले नहीं हैं।

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