MNNIT इलाहाबाद में बवाल: असिस्टेंट प्रोफेसर ने लगाया जातिगत भेदभाव का सनसनीखेज आरोप, सस्पेंड होने पर मचा हंगामा
- Shubhangi Pandey
- 24 Sep 2025 11:03:54 PM
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT) इलाहाबाद एक बार फिर विवादों के घेरे में है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर एम वेंकटेश नाईक ने संस्थान पर जातिगत और क्षेत्रीय भेदभाव का गंभीर आरोप लगाया है। नाईक का दावा है कि उनकी योग्यता के बावजूद उन्हें 2023 में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर प्रमोशन नहीं मिला। इतना ही नहीं, उन्हें रिसर्च स्कॉलर अलॉटमेंट में भी पक्षपात का सामना करना पड़ा।
भेदभाव का विरोध तो सस्पेंशन की सजा?
नाईक का कहना है कि जब उन्होंने इस भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई, तो संस्थान ने उन्हें निशाना बनाया। वो बताते हैं कि संस्थान ने उन पर झूठा आरोप लगाया कि वो एक बैठक के दौरान पेन कैमरे से रिकॉर्डिंग कर रहे थे। इसके आधार पर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। नाईक ने इस मामले की जांच के लिए हाई पावर कमेटी से गुहार लगाई है और कोर्ट में याचिका दायर करने की बात भी कही है। वो इसे अपने खिलाफ साजिश करार दे रहे हैं।
संस्थान का जवाब- नाईक के खिलाफ 23 शिक्षकों की शिकायत
MNNIT के रजिस्ट्रार डॉ. अंबक कुमार राय ने नाईक के सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि नाईक के खिलाफ विभाग के 23 शिक्षकों ने लिखित शिकायत की थी। इन शिकायतों के आधार पर एक फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी बनाई गई है, जिसमें हाईकोर्ट के एक वकील भी शामिल हैं। रजिस्ट्रार ने साफ किया कि नाईक के आरोप बेबुनियाद हैं और जांच में सच्चाई सामने आ जाएगी।
प्रमोशन और अन्य आरोपों पर क्या बोला MNNIT?
रजिस्ट्रार ने प्रमोशन विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि 2023 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के सभी चार उम्मीदवारों को प्रमोशन नहीं मिला था, सिर्फ नाईक को नहीं। इसके अलावा 2024 में नाईक ने खुद इंटरव्यू में हिस्सा नहीं लिया। संस्थान का ये भी कहना है कि नाईक पर महिला उत्पीड़न और परीक्षा विभाग में अनियमितता जैसे गंभीर आरोप हैं, जिनकी जांच चल रही है।
बता दें कि ये मामला अब और तूल पकड़ता दिख रहा है। नाईक ने कोर्ट का रुख करने का फैसला किया है, वहीं संस्थान अपनी जांच प्रक्रिया पर अड़ा है। इस विवाद ने MNNIT की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या ये सचमुच भेदभाव का मामला है या फिर कुछ और? आने वाले दिनों में जांच और कोर्ट के फैसले से ही सच्चाई सामने आएगी।
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