Railway Station पर ड्रोन की धूम, सौर पैनल चमकाएंगे, पर्यावरण बचाएंगे, UP में नया प्रयोग!
- Ankit Rawat
- 26 Sep 2025 02:06:27 PM
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में भारतीय रेलवे ने एक अनोखा कदम उठाया है। उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) ने सूबेदारगंज स्टेशन पर ड्रोन से सौर पैनल साफ करने की तकनीक का शानदार प्रदर्शन किया। ये पहल भारतीय रेलवे के नेट-जीरो मिशन का हिस्सा है, जिसका मकसद सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना और पर्यावरण को बचाना है। ड्रोन ने कम पानी और बिना केमिकल के सौर पैनल चमकाकर सबका ध्यान खींचा। ये तकनीक न सिर्फ समय बचाएगी, बल्कि खर्च भी कम करेगी। आइए जानते हैं इस नए प्रयोग की पूरी कहानी।
सूबेदारगंज में ड्रोन का कमाल
23 सितंबर को प्रयागराज के सूबेदारगंज रेलवे स्टेशन पर ड्रोन से सौर पैनल साफ करने का लाइव डेमो हुआ। इस दौरान एनसीआर के बड़े अधिकारी, जैसे यतेंद्र कुमार (प्रमुख मुख्य विद्युत अभियंता) और पंकज जायसवाल (मुख्य विद्युत अभियंता), मौजूद रहे। ड्रोन में 10 लीटर पानी का टैंक था और इसका वजन बिना पानी के 19 किलो था। चार नोजल से पानी छिड़ककर ये ड्रोन सौर पैनल साफ करता है। इसे जीपीएस और रिमोट कंट्रोलर से चलाया जाता है। पूरी तरह चार्ज होने पर ये 22 मिनट तक काम करता है। स्टेशन के भवन और प्लेटफॉर्म-1 के शेल्टर पर हुए इस प्रदर्शन ने सबको प्रभावित किया।
पर्यावरण के लिए वरदान
ये ड्रोन तकनीक पर्यावरण के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है। सौर पैनल साफ करने के लिए इसमें बहुत कम पानी लगता है और कोई केमिकल इस्तेमाल नहीं होता। इससे न सिर्फ पर्यावरण सुरक्षित रहता है, बल्कि सौर पैनल की दक्षता भी बढ़ती है। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि ये तकनीक लागत कम करने और सौर ऊर्जा सिस्टम को बेहतर बनाने में कारगर है। डेमो के दौरान सौर पैनल चमचमाते हुए साफ हुए, जिससे तकनीक की कामयाबी साफ दिखी। हालांकि, अधिकारियों ने ड्रोन के डिजाइन में कुछ छोटे सुधार सुझाए ताकि इसे रेलवे के लिए और बेहतर बनाया जा सके।
रेलवे का नेट-जीरो मिशन
भारतीय रेलवे का नेट-जीरो मिशन सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम है। एनसीआर इस मामले में सबसे आगे है। अप्रैल से अगस्त 2025 तक एनसीआर ने 13.7 मेगावाट सौर संयंत्रों से 53.1 लाख यूनिट बिजली बनाई। ये बिजली स्टेशनों, मुख्यालय और मंडल कार्यालयों की इमारतों में इस्तेमाल हो रही है। ड्रोन तकनीक से सौर पैनल की सफाई आसान और सस्ती होगी, जिससे सौर ऊर्जा का उत्पादन और बढ़ेगा। एनसीआर अब इस तकनीक को अपने पूरे क्षेत्र में लागू करने की योजना बना रहा है।
रेलवे की नई उड़ान
ये ड्रोन तकनीक रेलवे के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। खासकर उन सौर पैनलों की सफाई में जो ऊंचाई पर लगे हैं। एनसीआर के वरिष्ठ पीआरओ अमित मालवीय ने बताया कि ये तकनीक यूजर-फ्रेंडली है और ऊंचे पैनलों को साफ करने में बेहद कारगर है। ये प्रयोग दक्षिण रेलवे के बाद अब एनसीआर में हुआ है, जो भारतीय रेलवे के टिकाऊ भविष्य की ओर बड़ा कदम है। बता दें कि ये नया प्रयोग न सिर्फ रेलवे को हरा-भरा बनाएगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देगा। अब देखना है कि ये तकनीक पूरे देश में कब तक छा जाएगी।
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