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बेटी पैदा हुई तो महिला के साथ ताने और मारपीट, ग्रेटर नोएडा में महिला ने की आत्महत्या, पति-सास जेल में

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ग्रेटर नोएडा के लखनावली गांव में 22 सितंबर 2025 को एक दर्दनाक घटना ने सबको झकझोर दिया। 37 साल की रितु तोमर ने ससुराल में पति और सास की प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली। रितु के भाई अंकित तोमर ने सूरजपुर थाने में शिकायत दर्ज की, जिसके बाद 27 सितंबर को पुलिस ने रितु के पति सोनू मलिक और सास शकुंतला को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले ने दहेज और बेटियों को लेकर समाज की रूढ़ियों पर सवाल उठाए हैं।  

रितु की शादी 2014 में बागपत के सोनू मलिक से हुई थी। सोनू सूरजपुर में CISF में कॉन्स्टेबल हैं। रितु की दो बेटियां हैं, जिनकी उम्र 8 और 5 साल है। अंकित ने बताया कि सोनू और शकुंतला रितु को दहेज के लिए तंग करते थे। बेटा न होने की वजह से वो उसे आए दिन ताने मारते और मारपीट करते। अंकित के मुताबिक, रितु को दो बार गर्भपात करवाने के लिए मजबूर किया गया क्योंकि गर्भ में बेटी थी। रितु एक साल तक मायके में रही थी, लेकिन समाज के दबाव में उसे ससुराल वापस भेज दिया गया।  

23 सितंबर की वो दर्दनाक रात
23 सितंबर की शाम रितु ने अंकित को फोन पर बताया कि ससुराल वाले उसके साथ मारपीट कर रहे हैं और जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। अचानक फोन कट गया। अंकित ने दोबारा कॉल किया तो फोन बंद मिला। अगले दिन जब परिवार सूरजपुर पहुंचा तो रितु कैलाश अस्पताल में भर्ती थी, जहां उसकी मौत हो चुकी थी। अंकित ने आरोप लगाया कि रितु ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उसे जहर देकर मारा गया। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा और जांच शुरू की।  

पुलिस की कार्रवाई  
सूरजपुर थाना प्रभारी ने बताया कि अंकित की शिकायत पर सोनू मलिक (37) और शकुंतला (58) के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज किया गया। 27 सितंबर को दोनों को लखनावली गांव से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस का कहना है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।  

बेटियों का टूटा सहारा
रितु की दो छोटी बेटियां अब मायके के पास हैं, जिनका रो-रोकर बुरा हाल है। इस घटना ने पूरे इलाके में गुस्सा पैदा कर दिया है। लोग सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। ये मामला दहेज और बेटियों को लेकर समाज की गलत मानसिकता को फिर उजागर करता है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक, 2022 में दहेज उत्पीड़न की वजह से 6,450 महिलाओं की मौत हुई थी। ग्रेटर नोएडा की इस घटना ने एक बार फिर सवाल उठाया है कि आखिर कब तक बेटियां बोझ मानी जाएंगी?

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