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Sambhal मस्जिद ध्वस्तीकरण मामले में हुई सुनवाई, सवा घंटे तक HC में चली बहस, जानिए क्या हुआ ?

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जुमे की नमाज के बाद संभल में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने खुद सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद की दीवारों को हथौड़ा और औजारों से तोड़ दिया। प्रशासन ने अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई की थी। मामला अब इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। 3 अक्टूबर को छुट्टी के दिन हाईकोर्ट की अर्जेंट बेंच ने चेंबर में करीब सवा घंटे तक सुनवाई की। फिलहाल मस्जिद पक्ष को अंतरिम राहत नहीं मिली। अगली सुनवाई शनिवार सुबह 10 बजे तय हुई है।

पूरा मामला क्या है?
मस्जिद शरीफ गोसुलबारा रावा बुजुर्ग और उसके मुतवल्ली मिंजर की ओर से याचिका दायर की गई है। इसमें मस्जिद, एक बारात घर और एक अस्पताल को ध्वस्त करने के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई। याचिका में कहा गया कि बारात घर पहले ही ध्वस्त कर दिया गया और अब मस्जिद गिराने की तैयारी है। मस्जिद पक्ष का कहना है कि बारात घर तालाब की जमीन पर था जबकि मस्जिद का कुछ हिस्सा सरकारी जमीन पर बना है। उन्हें डर है कि अगर कार्रवाई जारी रही तो बड़ा टकराव हो सकता है।

चेंबर में दोनों पक्षों की दलीलें
दोपहर करीब 1 बजे से शुरू हुई चेंबर में सुनवाई। मस्जिद पक्ष के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद कुमार त्रिपाठी और शशांक श्री त्रिपाठी ने कहा कि ध्वस्तीकरण का आदेश संवेदनशील समय पर किया गया। 2 अक्टूबर जैसे सार्वजनिक अवकाश के दिन कार्रवाई करना भारी समस्या पैदा कर सकता है। मस्जिद पक्ष ने कोर्ट से कहा कि उन्हें जमीन संबंधी दस्तावेज पेश करने का मौका दिया जाए। मुकाबले में कोर्ट ने मस्जिद प्रबंधन से उन दस्तावेजों की मांग की जो यह साबित करें कि उन्होंने जमीन का वैध अधिकार रखा है। इस बीच कोर्ट ने राज्य सरकार, संभल के डीएम, एसपी, एडीएम, तहसीलदार और ग्राम सभा को भी पक्षकार बनाया।

अगला कदम क्या होगा?
अदालती बेंच ने मस्जिद पक्ष से जमीन से जुड़े दस्तावेज जल्द पेश करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने कई सरकारी अधिकारियों को पक्षकार बनाते हुए उन्हें इस मामले में जवाब देने का निर्देश दिया है । बता दें कि अभी तक मस्जिद को कोई अंतरिम राहत नहीं मिली है। वहीं इस मामले की अगली सुनवाई शनिवार सुबह 10 बजे होगी। उस दिन कोर्ट यह तय करेगा कि याचिका में मांगे गए रुकावट आदेश दिए जाएं या नहीं।

प्रशासन की कार्रवाई 
संभल प्रशासन का कहना है कि मस्जिद और बारात घर अवैध निर्माण थे जो सरकारी जमीन पर बने थे जहां पहले तालाब हुआ करता था। कार्रवाई से पहले मस्जिद प्रबंधन को नोटिस जारी किए गए थे और उन्हें खुद निर्माण हटाने के लिए कहा गया था। ये मस्जिद ध्वस्तीकरण की दूसरी घटना है जो कुछ ही महीनों के भीतर हुई है।

बता दें कि संभल मस्जिद मामले में हाईकोर्ट की सुनवाई ने मामला और जटिल बना दिया है। मस्जिद पक्ष की जमीन संबंधी दलीलें और कोर्ट की दस्तावेज मांग ने अगली सुनवाई की दिशा तय कर दी है। प्रशासन और मस्जिद प्रबंधन के बीच इस संवेदनशील मामले की हल अब अगली सुनवाई में ही सामने आएगी।

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