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बरेली हिंसा: सपा नेताओं को किया गया हाउस अरेस्ट, माता प्रसाद पांडे ने लगाए बड़े आरोप

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बरेली में 26 सितंबर को हुई हिंसा के बाद समाजवादी पार्टी ने पीड़ितों से मिलने के लिए आज डेलिगेशन भेजने का फैसला किया था। इस डेलिगेशन में कुल 14 नेता शामिल थे लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में रोक दिया। इस दौरान मौके पर नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे, इकरा हसन और कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। डेलिगेशन का मकसद अखिलेश यादव को रिपोर्ट सौंपना था। सपा सांसद इकरा हसन ने कहा कि संविधान से देश चल रहा है तो हमें किस अधिकार से रोका गया। डेलिगेशन को बेवजह रोका जाना लोकतंत्र की हत्या है। इकरा ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता के नशे में चूर प्रशासन लोकतंत्र की सीमाओं को पार कर रहा है।

तीन सांसदों को गाजीपुर बॉर्डर पर रोका गया
मामले में ये भी सामने आया कि सपा के तीन सांसद हरेंद्र मलिक, मोहिबुल्लाह नदवी और इकरा हसन को बरेली जाने से रोक दिया गया। वहीं संभल के सांसद जियाउर्रहमान को हाउस अरेस्ट कर लिया गया।

माता प्रसाद पांडे को पुलिस ने उनके घर में नजरबंद कर रखा है। माता प्रसाद ने कोशिश की बाहर निकलने की लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। माता प्रसाद ने कहा कि बरेली आज नहीं जा पाए तो कल जाएंगे। उन्होंने ये भी कहा कि मामला सांप्रदायिक नहीं है। हिंदू और मुस्लिम का कोई मसला नहीं है। डेलिगेशन सिर्फ ज्ञापन देने जा रहा था ।

पुलिस की सख्ती पर सपा का आरोप
नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद ने प्रेस से बात करते हुए कहा कि सपा डेलिगेशन पीड़ितों से मिलने के लिए जा रहा था। बरेली पुलिस ने सख्ती की और डेलिगेशन के प्रवेश पर रोक लगा दी। माता प्रसाद ने कहा कि उन्हें बताया गया कि उनके जाने से अशांति फैल सकती है। बीती रात PGI इंस्पेक्टर ने हाउस अरेस्ट की जानकारी दी लेकिन माता प्रसाद ने कहा कि PGI इंस्पेक्टर को ऐसा नोटिस देने का कोई अधिकार नहीं था। इसके बाद DM ने डेलिगेशन के प्रवेश पर रोक लगा दी। माता प्रसाद ने आरोप लगाया कि बरेली में बड़े स्तर पर निर्दोष लोगों को जेल भेजा गया। उनका कहना था कि अगर उन्हें जाने दिया जाता तो माहौल बेहतर रहता।

जियाउर्रहमान भी नजरबंद
संभल के सांसद जियाउर्रहमान को भी हाउस अरेस्ट कर पुलिस ने नजरबंद कर दिया। जियाउर्रहमान डेलिगेशन में शामिल थे और बरेली जाने वाले सांसदों में एक प्रमुख नाम थे। पुलिस ने डेलिगेशन के बरेली कूच से पहले ये कार्रवाई कर दी।

सपा नेताओं की नजरबंदी और डेलिगेशन को रोकने की कार्रवाई ने बरेली हिंसा के बाद के हालात को और संवेदनशील बना दिया है। पार्टी का कहना है कि ये कार्रवाई लोकतंत्र की हत्या है और पीड़ितों से मिलने जाने वाले नेताओं को रोका जाना समाज के लिए चिंता का विषय है। सपा नेताओं ने ये भी साफ किया कि उनका उद्देश्य केवल पीड़ितों से मिलकर रिपोर्ट सौंपना था और कोई सांप्रदायिक मुद्दा नहीं था। बावजूद इसके पुलिस ने हाउस अरेस्ट किया और गाजीपुर बॉर्डर पर कुछ नेताओं को रोकने की कार्रवाई की।

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