Sahara शहर सीलिंग विवाद: HC ने UP सरकार और LMC को लगाई फटकारा, 30 October तक फैसला
- Ankit Rawat
- 08 Oct 2025 09:50:43 PM
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बुधवार को सहारा इंडिया कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर आदेश पारित किया। ये याचिका गोमती नगर स्थित सहारा शहर की सीलिंग के खिलाफ थी। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार और लखनऊ नगर निगम (एलएमसी) को 30 अक्टूबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की खंडपीठ ने याचिका पर विचार करते हुए कहा कि मामले की विस्तृत सुनवाई जरूरी है। दोनों पक्षों को अपनी दलीलें पेश करने का मौका दिया जाएगा।
मवेशियों की देखभाल के निर्देश
सुनवाई के दौरान अदालत ने परिसर में छोड़े गए मवेशियों को कान्हा उपवन में स्थानांतरित करने और उनकी उचित देखभाल सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में केवल संपत्ति ही नहीं, बल्कि जानवरों की सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है।
सहारा शहर पर नगर निगम ने क्यों लगाया सील?
सहारा शहर का परिसर लगभग 170 एकड़ में फैला हुआ है। नगर निगम ने दावा किया कि लीज़ और लाइसेंस समझौतों का उल्लंघन होने के कारण इस टाउनशिप को सील किया गया। निगम का कहना है कि 1994 में जारी लीज़ डीड की शर्तों का पालन नहीं हुआ, जिसके बाद 2020 और फिर 2025 में नोटिस जारी किए गए। एलएमसी के वकील ने अदालत को बताया कि सीलिंग की कार्रवाई पूरी तरह न्यायसंगत प्रक्रिया और सुनवाई के बाद की गई थी।
सहारा समूह का विरोध
सहारा इंडिया कॉर्पोरेशन ने नगर निगम के कदम का विरोध करते हुए कहा कि टाउनशिप पर कब्ज़ा करने और सभी छह प्रवेश द्वारों को सील करने से पहले संपत्तियों या मूल्यवान वस्तुओं की कोई सूची तैयार नहीं की गई थी। सहारा समूह का कहना है कि ये सीलिंग बिना उचित सूचना और सुनवाई के जल्दबाजी में की गई। उनका तर्क है कि ऐसे फैसले न्याय और नियमों के खिलाफ हैं।
आगे की सुनवाई
अदालत ने फैसला किया कि इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलों को सुना जाना जरूरी है। इसलिए एलएमसी और राज्य सरकार दोनों को 30 अक्टूबर तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया। सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत पूरे मामले की जांच करेगी और तय करेगी कि क्या नगर निगम की कार्रवाई सही थी या नहीं।
सहारा शहर विवाद को लेकर बखेड़ा क्यों
ये मामला न केवल लीज़ और लाइसेंस विवाद तक सीमित है, बल्कि इसके सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भी हैं। टाउनशिप में रहने वाले लोग, व्यवसायी और अन्य संपत्ति मालिक इस फैसले से सीधे प्रभावित हुए हैं। सहारा समूह और नगर निगम के बीच विवाद ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जैसे सीलिंग की प्रक्रिया की पारदर्शिता, संपत्ति और मवेशियों की सुरक्षा और न्यायसंगत सुनवाई का अधिकार।
निवासियों और निवेशकों की निगाहें अदालत पर
इस आदेश के बाद अब सबकी निगाहें अदालत की अगली सुनवाई पर हैं। फैंस और निवासी जानना चाहते हैं कि क्या सहारा शहर की सीलिंग स्थायी होगी या विवाद सुलझेगा। 30 अक्टूबर तक जवाब आने के बाद अदालत मामले में अंतिम निर्णय लेने की स्थिति में होगी। बता दें कि सहारा शहर विवाद में अब अदालत ही अंतिम फैसला करेगी, तब तक संपत्ति मालिक और जनता दोनों ही इस प्रक्रिया पर बारीकी से नजर बनाए रखेंगे।
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