प्रयागराज में स्कूल का जर्जर गेट बना मौत का दरवाज़ा, सात साल के मासूम की दर्दनाक मौत, पिता की आंखों के सामने हुआ हादसा
- Shubhangi Pandey
- 09 Oct 2025 03:09:38 PM
प्रयागराज के बहरिया थाना क्षेत्र में एक बेहद दर्दनाक हादसा हो गया। चकिया धमौर गांव के एक सरकारी स्कूल में खेलते वक्त सात साल के मासूम ईशू की जान चली गई। हादसा उस समय हुआ जब स्कूल का पुराना और टूटा हुआ लोहे का गेट अचानक उसके ऊपर गिर पड़ा। ईशू की मौत मौके पर ही हो गई। इस हादसे ने पूरे गांव को झकझोर दिया है। ग्रामीणों के मुताबिक अगर स्कूल प्रशासन ने समय रहते जर्जर गेट की मरम्मत कराई होती तो आज ईशू ज़िंदा होता।
पिता के सामने मौत
ईशू के पिता मनोज पाल सुबह करीब साढ़े छह बजे अपने बेटे को शौच के लिए स्कूल के पास खेत में ले गए थे। वापस लौटते समय वो स्कूल के हैंडपंप पर हाथ धोने लगे और ईशू स्कूल के गेट से खेलने लगा। अचानक गेट भरभराकर गिरा और ईशू उसके नीचे दब गया। मनोज के सामने ही उसका इकलौता बेटा तड़पता रहा लेकिन कुछ कर नहीं सके। आसपास के ग्रामीण तुरंत पहुंचे और मलबा हटाकर ईशू को बाहर निकाला। उसे फौरन एक निजी अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। ईशू गांव के सरस्वती ज्ञान मंदिर में कक्षा 1 का छात्र था।
एक साल से टूटा पड़ा था गेट
हैरानी की बात ये है कि स्कूल का गेट करीब एक साल पहले एक ट्रक की टक्कर से टूट गया था। उसके बाद से इसकी मरम्मत नहीं की गई। स्कूल में हर दिन 150 से ज्यादा बच्चे आते हैं लेकिन प्रशासन ने कभी गेट की हालत पर ध्यान नहीं दिया। प्रधानाध्यापक राम आधार का कहना है कि इस संबंध में उन्होंने कई बार विभागीय अफसरों से शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जिम्मेदारों पर कार्रवाई शुरू
इस घटना के बाद प्रशासन हरकत में आया। बीएसए देवब्रत ने स्कूल के कार्यवाहक प्रधानाध्यापक राम अधार को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही ज़िला मजिस्ट्रेट मनीष कुमार वर्मा ने पंचायत सचिव को भी सस्पेंड कर दिया है। डीडीओ जीपी कुशवाहा ने बताया कि ग्राम पंचायत सचिव को पहली नज़र में दोषी पाया गया, इसलिए उन्हें तुरंत निलंबित किया गया। साथ ही ग्राम प्रधान के खिलाफ भी जांच शुरू कर दी गई है क्योंकि सार्वजनिक निर्माण की जिम्मेदारी उनकी भी होती है।
सिस्टम पर उठे सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर सरकारी स्कूलों की लापरवाह व्यवस्था को उजागर कर दिया है। जिस गेट को एक साल पहले ही मरम्मत की ज़रूरत थी, उसे नजरअंदाज किया गया और उसकी कीमत एक मासूम की जान से चुकानी पड़ी। गांव वाले अब सिर्फ न्याय की मांग कर रहे हैं। ईशू की मौत ने पूरे गांव को सदमे में डाल दिया है। सवाल ये है कि कितनी और जानें जाएंगी तब जाकर सिस्टम जागेगा?
बता दें कि प्रयागराज के चकिया धमौर गांव में हुआ ये हादसा सिर्फ एक मासूम की मौत नहीं, बल्कि सरकारी लापरवाही का आईना है। अब ज़रूरत है कि ऐसी घटनाओं से सबक लिया जाए और स्कूलों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए, वरना ईशू जैसे मासूमों की जिंदगी यूं ही दांव पर लगती रहेगी।
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *



