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परिवार का लाल खोया, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही ने छीना मासूम सतेंद्र का साथ: त्योहारी खुशियां बदल गईं मातम में!

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मुरसान, कोटा (स्पेशल रिपोर्ट): त्योहारों की धूम में डूबे इस दौर में एक परिवार का आंसुओं का सैलाब बन गया है। मुरसान के ग्राम कोटा में मात्र 15 वर्षीय मासूम सतेंद्र कुशवाहा (बिंदिया) की झोला छाप डॉक्टर की लापरवाही और स्वास्थ्य विभाग की सुस्ती से हो गई मौत ने पूरे इलाके को सदमे में डाल दिया है। परिवार के लाल को हराने वाली यह घटना न केवल एक पारिवारिक त्रासदी है, बल्कि जिला स्वास्थ्य व्यवस्था की घोर लापरवाही का आईना भी है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है, और आक्रोशित स्वरों में वे चीख रहे हैं- "हमारा लाल चला गया, लेकिन दोषियों को सजा कब मिलेगी?"

परिजनों के अनुसार, सतेंद्र को मामूली बुखार की शिकायत हुई थी। त्योहारों के बीच परिवार ने सोचा कि जल्दी ठीक हो जाएगा, लेकिन यही लापरवाही भारी पड़ गई। गांव के ही एक कथित डॉक्टर को दिखाने ले गए, जिसने बिना किसी उचित जांच के खुद अपना इलाज शुरू कर दिया। जब परिवार के सदस्यों ने बच्चे की हालत पूछी, तो उसने ढीठ लहजे में कहा, "मेरी जिम्मेदारी है, कुछ नहीं होगा।" परिवार वालों के मना करने के बावजूद बुखार में इंजेक्शन दे डाला। एक घंटे बाद ही सतेंद्र बेहोश हो गया। डरकर स्थानीय रिश्तेदारों ने उस झोला छाप डॉक्टर गौरव को भगा दिया।

फिर क्या था, आनन-फानन में परिजन बच्चे को लेकर पास के प्रेम राघु अस्पताल पहुंचे। लेकिन वहां डॉक्टरों ने हालत देखते ही दूसरे अस्पताल ले जाने की सलाह दे दी। इधर-उधर भटकते हुए आखिरकार जिला अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने सतेंद्र को मृत घोषित कर दिया। परिवार के सदस्यों का गला रुँध गया। पिता की आंखों से आंसू बह रहे थे, मां का रोना थम ही नहीं रहा। "हमारा लाल... हमारा सहारा... बस चला गया! त्योहार पर तो हम खुशियां मनाने वाले थे, अब सिर्फ कफन बांध रहे हैं," पिता ने टूटे स्वर में बताया। बहनें और भाई चीख-चीखकर रो रहे थे, मानो पूरा जहां उजड़ गया हो।

यह घटना जिला स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का एक और काला अध्याय जोड़ती है। झोला छाप डॉक्टरों का राज ग्रामीण इलाकों में कायम है, लेकिन विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। ऐसे फर्जी वैद्य बिना किसी डिग्री के लोगों की जान जोखिम में डालते रहते हैं, और विभाग चुप्पी साधे रहता है। परिजनों ने आक्रोश जताते हुए कहा, "हमने तो भरोसा किया था, लेकिन ये सबने मिलकर हमारे लाल को मार डाला। स्वास्थ्य विभाग सो रहा है क्या? ऐसे डॉक्टरों पर तुरंत कार्रवाई हो, वरना और कितने परिवार बर्बाद होंगे?" इलाके के ग्रामीणों ने भी स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठाए। एक बुजुर्ग ने कहा, "हर रोज ऐसी घटनाएं हो रही हैं, लेकिन अफसर लोग आंखें बंद किए बैठे हैं। कब तक निर्दोष बच्चों की बलि चढ़ेगी?"

त्योहारों के मौके पर उसकी मौत ने न सिर्फ परिवार को तोड़ दिया, बल्कि पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ा दी। अब परिजन न्याय की गुहार लगा रहे हैं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से मांग की जा रही है कि झोला छाप डॉक्टर गौरव के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाया जाए। अन्यथा, यह आक्रोश सड़कों पर उतर सकता है।

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