कागजों में फिट, हकीकत में खतरा! कब रुकेगी UP की सड़कों पर मौत की रफ्तार?
- Ankit Rawat
- 06 Nov 2025 05:35:26 PM
यूपी की सड़कों पर दौड़ रही कई प्राइवेट बसें अब मौत की सवारी बन चुकी हैं। कागजों में फिटनेस पास, लेकिन हकीकत में ये बसें खामियों से लबालब हैं। यात्री रोज इनमें सफर तो कर रहे हैं पर अपनी जान जोखिम में डालकर। सवाल ये है कि आखिर ऐसे खतरनाक वाहनों को रोड पर दौड़ने की इजाजत कैसे मिल रही है?
सीटें बढ़ीं, जगह घटी, बस बनी दमघोंटू डिब्बा
लखनऊ के ट्रांसपोर्ट नगर से चलने वाली एमपी-70 ZB-8095 बस इसका ताजा उदाहरण है। इसमें जहां 30 सीटें होनी चाहिए थीं, वहां 36 सीटें ठूंस दी गई हैं। बस इतनी कंजस्टेड है कि एक बार में कोई एक ही व्यक्ति किसी सीट तक पहुंच पाता है। पीछे का इमरजेंसी गेट सीट से बंद है और बस में एक भी अग्निशमन यंत्र नहीं है। अगर हादसा हो जाए तो यात्रियों के पास बचने का कोई रास्ता नहीं।
दर्जनों बसों में ऐसे ही खतरनाक हालात
सिर्फ एक नहीं दर्जनभर प्राइवेट एसी बसें इसी तरह नियमों को ताक पर रखकर चल रही हैं। इनकी बॉडी बढ़ाई गई है। सीटें मानक से ज्यादा हैं और छत पर अवैध लगेज कैरियर लगे हैं। कई बसों की लंबाई भी असामान्य रूप से बढ़ाई गई है। जिससे हादसों का खतरा बढ़ गया है। इमरजेंसी गेट गायब होना तो आम बात हो गई है।
फिटनेस का खेल, जांच में पास कैसे हो रहीं ये बसें?
नियम के मुताबिक नई बसों की फिटनेस दो साल में एक बार कराई जाती है। लेकिन जिन बसों में इतनी खामियां मिली हैं, वो पांच साल से भी ज्यादा पुरानी हैं। इसका मतलब है कि इनकी फिटनेस दो बार तो जरूर हो चुकी है। अब सवाल उठता है कि क्या फिटनेस जांच में सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जा रही है?
कैसे चल रहा है ये पूरा खेल ?
यूपी के कई जिलों में अब वाहनों की फिटनेस जांच प्राइवेट एजेंसियों को सौंप दी गई है। साथ ही “एनीवेयर फिटनेस” सिस्टम लागू किया गया है। जिसमें वाहन कहीं से भी फिटनेस पास करा सकते हैं। जानकारों का कहना है कि इसी सिस्टम का दुरुपयोग शुरू हो गया है। पहले भी राजस्थान और झांसी में फिटनेस सर्टिफिकेट के नाम पर रिश्वतखोरी और फर्जीवाड़े के मामले सामने आ चुके हैं।
जांच पर राजनीति यात्रियों की जान पर संकट
सरकार ने आदेश दिया था कि मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एमवीआई) खुद सड़कों पर उतरकर बसों की जांच करें। लेकिन विभागीय राजनीति की वजह से अभी तक कई अफसरों को जांच की आईडी तक जारी नहीं की गई है। नतीजा ये है कि खामियों से भरी बसें बिना रोकटोक सड़कों पर फर्राटा भर रही हैं और यात्रियों की जान हर दिन दांव पर लगी है।
Leave a Reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *



