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Gurez का ‘Human GPS’ ढेर, सुरक्षाबलों ने हिजबुल कमांडर Bagu Khan को मार गिराया

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जम्मू-कश्मीर के गुरेज सेक्टर से बड़ी खबर आई है. सुरक्षाबलों ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के मोस्ट वांटेड आतंकी और कमांडर बागू खान उर्फ़ समंदर चाचा को मुठभेड़ में ढेर कर दिया. बागू खान को इलाके का “ह्यूमन जीपीएस” कहा जाता था क्योंकि उसे एलओसी के गुप्त रास्तों और हर तरह की कठिन परिस्थितियों का पूरा ज्ञान था. यही वजह थी कि आतंकी गिरोहों के लिए वह बेहद खास बन गया था.

1955 से पीओके में छिपा था
बागू खान साल 1955 से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में रह रहा था. वहीं से उसने भारत में आतंक फैलाने का खेल शुरू किया. वह गुरेज सेक्टर के इलाके से इतना वाकिफ था कि आतंकियों के बीच उसकी अलग ही पहचान थी. आतंकियों को घुसपैठ कराने में उसका कोई सानी नहीं था.

100 से ज्यादा घुसपैठ कराई
पिछले तीन सालों में बागू खान ने 100 से ज्यादा बार आतंकियों को भारत में घुसपैठ कराने में मदद की. उसे इलाके के जंगल, नाले, पहाड़ और गुप्त रास्तों की पूरी जानकारी थी. यही वजह थी कि आतंकियों का हर ग्रुप उसकी मदद चाहता था. जब वह हिजबुल कमांडर बना तब उसने कई बार एलओसी से घुसपैठ की योजनाएं बनाईं और उन्हें सफल भी कराया.

सेना का बड़ा ऑपरेशन
हाल ही में सुरक्षाबलों को इनपुट मिला था कि बागू खान फिर से घुसपैठ कराने की कोशिश कर रहा है. इसके बाद गुरुवार (28 अगस्त) को सेना ने बांदीपुरा जिले के गुरेज सेक्टर में सर्च ऑपरेशन शुरू किया. रात के वक्त सैनिकों ने संदिग्ध गतिविधि देखी और आतंकियों को ललकारा. इस पर आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी. सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई की और मुठभेड़ में बागू खान के साथ एक और आतंकी मारा गया. अगले दिन यानी 29 अगस्त की सुबह तक इलाके में तलाशी अभियान जारी रहा ताकि कहीं और आतंकी छिपे हों तो उन्हें पकड़ा जा सके.

आतंकियों को बड़ा झटका
बागू खान की मौत आतंकियों के नेटवर्क के लिए बहुत बड़ा झटका है. वह सिर्फ रास्ता दिखाने का काम नहीं करता था बल्कि आतंकियों को छिपाने, उन्हें हथियार मुहैया कराने और उनके लिए सुरक्षित जगह तय करने में भी मदद करता था. सेना का कहना है कि बागू खान का खात्मा घाटी में शांति बहाल करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है. उसकी मौत के बाद घुसपैठ के प्रयासों पर भी लगाम लगने की उम्मीद है. गुरेज का "ह्यूमन जीपीएस" कहे जाने वाला बागू खान भले ही सालों तक बचता रहा, लेकिन आखिरकार सुरक्षाबलों की मुस्तैदी के सामने उसकी एक न चली. यह मुठभेड़ साबित करती है कि देश की सुरक्षा व्यवस्था हर हाल में आतंकियों पर भारी है.

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