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सोनम वांगचुक को NSA के तहत जोधपुर जेल भेजा गया, लेह में इंटरनेट ठप

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जलवायु कार्यकर्ता और सामाजिक नेता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार कर राजस्थान के जोधपुर जेल भेज दिया गया है। ये गिरफ्तारी लद्दाख में उनके घर से हुई जहां लद्दाख पुलिस महानिदेशक एसडी सिंह की अगुवाई में पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया। सूत्रों के मुताबिक वांगचुक को लद्दाख से बाहर ले जाने की योजना पहले से थी। NSA जैसे सख्त कानून के तहत उनकी गिरफ्तारी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं क्योंकि ये कानून बिना जमानत के लंबे समय तक हिरासत की इजाजत देता है।

क्यों हुई गिरफ्तारी?
सोनम वांगचुक पर हिंसा भड़काने और नियम तोड़कर विदेश से फंडिंग लेने का आरोप है। उनकी संस्था स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) का विदेशी फंडिंग (FCRA) लाइसेंस भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रद्द कर दिया है। वांगचुक पर एक एफआईआर भी दर्ज हुई है जिसमें उन पर हिंसा को बढ़ावा देने का इल्जाम लगाया गया है। इससे पहले उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी कि उनकी गिरफ्तारी से हालात और बिगड़ सकते हैं।

लेह में इंटरनेट बंद, माहौल तनावपूर्ण
वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लेह में हालात तनावपूर्ण हैं। प्रशासन ने एहतियातन तीसरे दिन भी निषेधाज्ञा लागू रखी है और इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी गई हैं। हालांकि इस दौरान कोई बड़ी अप्रिय घटना की खबर नहीं आई है। लेकिन इंटरनेट बंद होने से स्थानीय लोगों में बेचैनी और असंतोष बढ़ रहा है। लेह में पहले से ही वांगचुक के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे थे और उनकी गिरफ्तारी ने इस आंदोलन को और हवा दे दी है।

वांगचुक का पक्ष 
सोनम वांगचुक लद्दाख के लिए लंबे समय से आवाज उठाते रहे हैं। वो पर्यावरण संरक्षण और शिक्षा के क्षेत्र में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। लेकिन उनकी हालिया गतिविधियों और केंद्र सरकार के खिलाफ बयानों ने विवाद खड़ा कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि वांगचुक ने अपने आंदोलन के जरिए लद्दाख की मांगों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की कोशिश की थी। लेकिन सरकार ने इसे कानून-व्यवस्था के लिए खतरा माना। उनकी संस्था पर विदेशी फंडिंग के दुरुपयोग का आरोप भी गंभीर है जिसके चलते FCRA लाइसेंस रद्द हुआ।

क्या होगा आगे?
वांगचुक की जोधपुर जेल में मौजूदगी और लेह में इंटरनेट बंद होने से स्थिति जटिल हो गई है। उनके समर्थक सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ सरकार का रुख सख्त है। ये मामला लद्दाख ही नहीं बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। लोग ये सवाल उठा रहे हैं कि क्या वांगचुक की गिरफ्तारी सही है या ये अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है।

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