यूपी एटीएस ने मुजाहिदीन आर्मी के चार सदस्यों को धर दबोचा, बहुत बड़ी साजिश को अंजाम देने के फिराक में थे
- Shubhangi Pandey
- 30 Sep 2025 06:54:54 PM
उत्तर प्रदेश में आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने एक बड़ी साजिश को विफल कर दिया है। दरअसल विवादास्पद बयानों से सुर्खियों में रहने वाले प्रमुख हिंदू धर्मगुरुओं की हत्या करने, राज्य में अशांति फैलाने और सरकार को अस्थिर करने की योजना रचने वाले चार युवकों को एटीएस ने गिरफ्तार किया है। इन पर मुजाहिदीन आर्मी नाम का एक कट्टरपंथी संगठन गठित करने का आरोप है। जिसका उद्देश्य भारत में शरीयत लागू कराना और हिंसक जिहाद के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था को उखाड़ फेंकना था। सोमवार को हुई इस कार्रवाई ने न केवल राज्य की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है, बल्कि पूरे देश में चिंता की लहर दौड़ा दी है।
कैसे हुआ मुजाहिद आर्मी का गठन
यह साजिश मुख्य रूप से सोनभद्र के सफील सलमानी उर्फ अली रजवी और सुल्तानपुर के अकमल रजा के इर्द-गिर्द घूमती है जिन्हें मुजाहिदीन आर्मी का कोर ग्रुप माना जा रहा है। इनके साथ गिरफ्तार हुए अन्य दो सदस्य कानपुर के मोहम्मद तौसीफ और रामपुर के कासिम अली हैं। एटीएस के अनुसार ये चारों पाकिस्तान स्थित कट्टरपंथी संगठनों से प्रभावित थे और गुप्त बैठकों के जरिए लोगों को भड़काने का काम कर रहे थे। उनका मकसद साफ था प्रमुख हिंदू धर्मगुरुओं को निशाना बनाकर टारगेटेड किलिंग करना। जिससे उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो जाए और सामाजिक माहौल बिगड़ जाए। इससे न केवल राज्य सरकार पर दबाव पड़े बल्कि केंद्र सरकार को भी अस्थिर करने की कोशिश की जाती। जांच में खुलासा हुआ कि ये लोग कट्टर मानसिकता वाले व्यक्तियों को भर्ती कर संगठन को मजबूत बनाने की फिराक में थे। इसके साथ ही हथियार जुटाने के लिए फंड इकट्ठा कर रहे थे और कुछ शहरों में बड़े हमलों की योजना भी बना रहे थे। सोनभद्र जिले से गिरफ्तार सफील सलमानी इस साजिश का प्रमुख सूत्रधार उभरा है। 30 साल का सफील करमा थाना क्षेत्र के खैराही भदोही गांव का निवासी है। वह सामान्य जीवन जीने का दिखावा करता था लेकिन सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय था। उसने व्हाट्सएप प्रोफाइल पर खुद को अली रजवी यानी मौत का मुसाफिर लिखा हुआ था जो उसकी कट्टर छवि को उजागर करता है। सफील लोगों को धार्मिक मामलों में शामिल होने के लिए उकसाता था और एन्क्रिप्टेड ग्रुप्स में रेडिकल प्रोपगैंडा फैलाता था। एटीएस की नजर पिछले कई दिनों से उसके ऊपर थी। खुफिया जानकारी के आधार पर सोमवार को सोनभद्र में छापेमारी की गई जहां से उसे धर दबोचा गया। गिरफ्तारी के बाद उसके गांव में हड़कंप मच गया। ग्रामीण हैरान हैं कि सामान्य दिखने वाला युवक इतनी खतरनाक साजिश का हिस्सा कैसे बन गया।
इस घटना ने इलाके में सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है और स्थानीय पुलिस अब आसपास के संदिग्धों पर निगरानी रख रही है। इसी तरह सुल्तानपुर के कंकर्कोला हलीयापुर निवासी अकमल रजा ने मशवरा नाम से एक गुप्त ग्रुप में देश के खिलाफ जिहाद की साजिश रची थी। वह अपने साथियों से मुजाहिदीन आर्मी में शामिल होने की अपील करता था और चैट्स में संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ भड़काऊ मैसेज शेयर करता रहता।
अकमल का मानना था कि भारत में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है इसलिए हिंसक संघर्ष ही एकमात्र रास्ता है। एटीएस को जानकारी मिली कि वह ऑडियो-वीडियो क्लिप्स के जरिए लोगों को भड़का रहा था। उसकी गिरफ्तारी सुल्तानपुर में हुई जहां से उसके पास से कई दस्तावेज बरामद हुए। वहीं कानपुर के मोहम्मद तौसीफ और रामपुर के कासिम अली भी इस नेटवर्क के अहम कड़ी थे। तौसीफ जो सुजातगंज नई बस्ती का रहने वाला है रिक्रूटमेंट का काम संभालता था। वहीं कासिम फंडिंग और हथियार प्रोक्योरमेंट में सक्रिय था। एटीएस ने इनके पास से आधार कार्ड, पैन कार्ड, क्रेडिट कार्ड और अन्य दस्तावेज जब्त किए हैं। पूछताछ में इन्होंने कबूल किया कि वो पाकिस्तानी संगठनों से प्रेरित होकर शरीयत लागू करने के लिए मुजाहिदीन आर्मी गठित कर रहे थे। ये लोग ऑनलाइन ग्रुप्स में हिंसक जिहादी साहित्य बांटते थे और गैर-मुस्लिम धर्मगुरुओं को टारगेट करने की लिस्ट तैयार कर रहे थे।
एटीएस ने दर्ज किया मामला
एटीएस ने लखनऊ के अपने थाने में बीएनएस की धारा 148/152 के तहत मामला दर्ज किया है। गिरफ्तारियों के बाद कोर्ट से रिमांड मांगी गई है, ताकि सहयोगियों और फंडिंग स्रोतों का पता लगाया जा सके। अधिकारियों का कहना है कि यह साजिश राज्य स्तर तक सीमित नहीं थी, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन चुकी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार 'आई लव मुहम्मद' जैसे अभियानों पर सख्ती बरत रही है, और यह कार्रवाई उसी दिशा में एक बड़ा कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया के इस दौर में कट्टरपंथ फैलना आसान हो गया है, इसलिए निगरानी जरूरी है।कुल मिलाकर यूपी एटीएस की यह सफल कार्रवाई राज्य की कानून-व्यवस्था को मजबूत करने वाली है। इससे न केवल संभावित हमलों को रोका गया, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में नई ताकत मिली है। हालांकि, जांच जारी है और आगे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। यह घटना समाज को एकजुट रहने और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने की चेतावनी देती है।
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