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Badaun में पोस्टमॉर्टम हाउस में हुआ घिनौना खेल, पहले की हत्या फिर खिड़की से फेंका दिया 3 माह का भ्रूण

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बदायूं जिले के अलापुर थाना क्षेत्र के गांव पतसा में एक गर्भवती विवाहिता की मौत ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है. रिंकी नाम की 28 साल की महिला की मौत के बाद मायके पक्ष ने ससुराल पर दहेज हत्या का गंभीर आरोप लगाया है. मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई जब रिंकी के तीन माह के भ्रूण को कथित रूप से पोस्टमॉर्टम हाउस की खिड़की से फेंक दिया गया. इस घटना ने परिजनों में गुस्सा और आक्रोश पैदा कर दिया.

शादी के कुछ ही महीनों बाद जीवन नर्क
30 जनवरी 2020 को दीपक चौहान से शादी करने वाली रिंकी की जिंदगी कुछ ही महीनों में बुरा सपना बन गई. मायका पक्ष का कहना है कि शादी के बाद से ही ससुराल वाले दहेज की मांग को लेकर लगातार प्रताड़ित करते रहे. रिंकी की मौत के वक्त वह तीन माह की गर्भवती थी. बीती रात बेल्ट, लाठी और डंडों से मारपीट के बाद ससुराल वालों ने उसे मृत अवस्था में जिला अस्पताल पहुंचाया. डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. जिसके बाद ससुराल पक्ष के लोग शव को अस्पताल में ही छोड़कर फरार हो गया. मायके पक्ष का कहना है कि ससुराल वालों की क्रूरता और दहेज की लालच ने रिंकी की जिंदगी नर्क बना दी. रिंकी का परिवार गुस्से में है और उसने न्याय की मांग तेज कर दी है.

पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया पर उठे सवाल
मृतका के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया. मायके पक्ष ने पोस्टमॉर्टम के दौरान वीडियोग्राफी और पैनल की मांग की थी ताकि जांच पारदर्शी हो. लेकिन अलापुर थाने के प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार के अनुसार पंचनामा में वीडियोग्राफी का उल्लेख नहीं किया गया. पोस्टमॉर्टम के दौरान डॉक्टरों ने रिंकी के पेट से निकाले गए तीन माह के भ्रूण को थैली में बांधकर पोस्टमॉर्टम हाउस की खिड़की से फेंक दिया. इस घटना ने परिजनों और ग्रामीणों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया. मायके पक्ष का आरोप है कि यह सब ससुराल पक्ष को बचाने की साजिश का हिस्सा था.

परिजनों की मांग
रिंकी के परिजन चाहते हैं कि ससुराल पक्ष के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. उनका कहना है कि पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया में भी गड़बड़ी हुई और डॉक्टर्स और पुलिस के बीच सांठगांठ हुई. परिजन न्याय के लिए हाईकोर्ट और मीडिया का सहारा लेने की तैयारी कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन को कड़े कदम उठाने चाहिए और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाना चाहिए.
बता दें कि बदायूं के पतसा गांव की यह घटना दहेज हत्या और गर्भवती महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती है. रिंकी के साथ हुई क्रूरता और पोस्टमॉर्टम हाउस में भ्रूण फेंकने की घटना समाज में एक गंभीर चेतावनी है. इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों को सजा दिलाना जरूरी है. इस घटना ने यह साफ कर दिया कि दहेज प्रथा और पारिवारिक हिंसा आज भी हमारे समाज में मौजूद हैं और इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है. न्याय मिलने तक रिंकी के परिवार और समाज में आक्रोश और सवाल कायम रहेंगे.

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