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पाक हाई कमीशन की वीजा डेस्क में जासूसी का कारखाना! वसीम की गिरफ्तारी ने खोली पोल

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हरियाणा के पलवल निवासी YouTuber वसीम अकरम की गिरफ्तारी ने पाकिस्तान हाई कमीशन की वीजा डेस्क के रहस्यों को उजागर कर दिया है। पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियों की शुरुआती जांचें यह संकेत देती हैं कि वीजा डेस्क अब सिर्फ वीजा जारी करने का केंद्र नहीं बल्कि ISI का Recruitment Hub बन चुकी है, जहां आर्थिक कमजोरियों का फायदा उठाकर भारतीय नागरिकों को जासूसी नेटवर्क में फंसाया जा रहा है। वसीम पर आरोप है कि उसने पाकिस्तान हाई कमीशन के अधिकारी जाफर उर्फ मुज़म्मिल हुसैन को डेटा एवं दस्तावेज उपलब्ध कराए।

जल्दी ही स्पष्ट हुआ कि वसीम का वीजा आवेदन पहले रिजेक्ट हो गया था लेकिन बाद में लगभग 20,000 रुपए रिश्वत लेकर वीजा मंजूर कर दिया गया। इस कमीशन ने वह पहला मोड़ था जिसने वसीम को नेटवर्क से जोड़ा। इसके बाद लगातार उसके बैंक खाते में 4-5 लाख रुपये ट्रांसफर हुए और कुछ नकद भी मिले। पाकिस्तान में “कसूर” नामक जगह पर वसीम को बुलाया गया और वहां उसने ISI अधिकारी से मुलाकात की। देश लौटने के बाद उसने भारतीय सेना के जवानों की लोकेशन, मूवमेंट, फोन नंबर और अन्य संवेदनशील जानकारी भेजी। बदले में उसे डिजिटल पेमेंट और नकद पुरस्कार मिलता रहा।

वीजा या जासूसी?
रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान हाई कमीशन ने वीजा प्रक्रिया को ही जासूसी का प्रवेश द्वार बना लिया है। वीजा आवेदन करते समय रिश्वत और वित्तीय लेन‑देन लोगों को धीरे-धीरे प्रभावित किया जाता है। खासकर हरियाणा के नूह और पलवल जिलों तथा पंजाब के मलेरकोटला इलाके में यह नेटवर्क सक्रिय माना जा रहा है। इन इलाकों में लोग “फैमिली वीजा” की आड़ में पाकिस्तान से संबंध रखते हैं और उसी आड़ में ISI एजेंट भर्ती करने की कोशिश होती है।

जांच से यह भी सामने आया है कि पाकिस्तानी अधिकारी स्थानीय एजेंटों से संपर्क करने के लिए Whatsapp, डिजिटल पेमेंट, UPI और फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। पैसों का लेन‑देहनों को ट्रेस करना मुश्किल बनाने के लिए डिजिटल माध्यमों का सहारा लिया जाता है। इससे सच्चाई छुपाना आसान हो जाता है। पहले भी पाकिस्तान हाई कमीशन के दो अधिकारियों—डैनिश उर्फ एहसान-उर-रहीम और जाफर—को भारत से निकाला गया था (Persona Non Grata घोषित किया गया था)। लेकिन अब वही मॉड्यूल नए चेहरे और तकनीकों द्वारा दोबारा सक्रिय हो गया है।

खुल सकती हैं कई और परतें? 
वसीम अकरम की गिरफ्तारी इस जाल का सिर्फ एक हिस्सा है। इंटेलिजेंस एजेंसियों का मानना है कि ये मामला केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक बड़े नेटवर्क की परतों को उजागर करता है। एजेंसियों के अनुसार पाकिस्तान हाई कमीशन की वीजा डेस्क ISI की रणनीति के तहत Recruitment Hub बन गई है जिसमें भावनात्मक संबंध, पैसों का लालच और डिजिटल जाल मिलकर काम कर रहे हैं। भारत सरकार को इस पूरे मामले पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाने की तैयारी है। सूत्रों के अनुसार अगले चरण में पाकिस्तान हाई कमीशन के कुछ और अधिकारियों को देश छोड़ने के आदेश दिए जा सकते हैं। इस मामले को सिर्फ एक जासूसी नेटवर्क का नहीं बल्कि पाकिस्तान द्वारा लगातार भारतीय लोकतंत्र और सुरक्षा व्यवस्था में सेंध लगाने की कोशिशों का प्रमाण माना जा रहा है।

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