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खनन अधिकारी का ‘काला खेल’! , मां, पत्नी और भाई को दिए पट्टे, ED-CBI तक पहुंचा भ्रष्टाचार कांड

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सोनभद्र से हटाए गए खनन अधिकारी शैलेंद्र सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। उनके खिलाफ प्रशासन, सीबीआई और ईडी में शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। शैलेंद्र सिंह पर सरकारी धन के दुरुपयोग, कर चोरी और बेनामी लेनदेन के ज़रिए भारी संपत्ति अर्जित करने के सनसनीखेज आरोप हैं। शैलेंद्र सिंह से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों का संज्ञान लेते हुए अब प्रशासनिक स्तर पर भी हलचल शुरू हो गई है। पिछले महीने इलाहाबाद हाइ कोर्ट में शैलेंद्र सिंह के खिलाफ एक जनहित याचिका भी दायर की गई थी। लेकिन सुनवाई के दौरान रहस्यमय तरीके से उसे वापस ले लिया गया।

अधिकारी ने कई जिलों में किया खेल
दरअसल मिर्जापुर में तैनात खनन अधिकारी की सोनभद्र में तैनाती के दौरान भी भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली थीं। उस समय कार्रवाई के नाम पर उनका तबादला कर दिया गया था। लेकिन ये तबादला उससे भी बेहतर जिले यानी सोनभद्र में किया गया। जब सोनभद्र में भी अवैध खनन के आरोप लगे तो उनका तबादला झांसी कर दिया गया। झांसी खनन के नजरिए से एक अहम जिला है।

रिश्तेदारों के नाम पर पट्टे 
शैलेंद्र पर अपने कार्यकाल के दौरान अपनी मां मोहिनी देवी और पत्नी दीपिका सिंह के नाम पर बेनामी संपत्तियां खरीदने का आरोप है। ये संपत्तियां अवैध खनन से अर्जित काली कमाई से खरीदी गई थीं। पूर्व विधायक राम सेवक पटेल कहते हैं कि शैलेंद्र सिंह पर भ्रष्टाचार के इतने मामले हैं कि अगर सही जांच हो, तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा। लेकिन राजनीतिक आकाओं और वरिष्ठ अधिकारियों से उनके संबंधों के कारण, शैलेंद्र सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। राम सेवक का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक और सीबीआई से लेकर आयकर और ईडी तक, सभी को पत्र लिखे। यहां से भी सहायक दस्तावेज़ मंगवाए गए। हैरानी की बात ये है कि तमाम दस्तावेज़ उपलब्ध कराने के बावजूद शैलेंद्र सिंह पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। राम सेवक बताते हैं कि शैलेंद्र सिंह 2008 में उत्तराखंड में खनिज निरीक्षक के पद पर नियुक्त हुए थे। 2009 में वे यूपी आ गए। तब से उनके परिवार की संपत्ति दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ने लगी।

राम सेवक कहते हैं - शैलेंद्र सिंह के रसूख का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चाहे कोई भी सरकार रही हो शैलेंद्र का दबदबा हमेशा कायम रहा। 2008 में बसपा सरकार के दौरान शैलेंद्र सिंह ने अपने रसूख का इस्तेमाल करके अपनी मां को दस एकड़ का खनन पट्टा दिलवाया था। सपा सरकार के दौरान उस पट्टे का नवीनीकरण हुआ। भाजपा सरकार के दौरान शैलेंद्र के ख़िलाफ़ शिकायतें हुईं लेकिन अधिकारियों की मेहरबानी के चलते कार्रवाई की बजाय उन्हें इनामी पोस्टिंग दी गई। राम सेवक कहते हैं कि जहां भी खनन का धंधा अच्छा रहा शैलेंद्र सिंह को उन्हीं ज़िलों में तैनात किया गया। मिसाल के तौर पर अपने संपर्कों का फ़ायदा उठाकर वह हमीरपुर, बांदा, झांसी, चित्रकूट, मिर्ज़ापुर और सोनभद्र जैसे ज़िलों में लगातार पोस्टिंग पाते रहे।

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