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Britain से आया मौलाना अब फंसा मुश्किल में! UP में विदेशी फंडिंग घोटाले में मौलाना पर शिकंजा

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उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में एक मदरसा और उसके प्रबंधक पर बड़े खुलासे हुए हैं। मदरसा कुल्लियातुल बनातिर रजविया (निस्वा) के पूर्व प्रबंधक और ब्रिटेन के नागरिक मौलाना शमसुल हुदा खान पर विदेशी फंडिंग के दुरुपयोग और संदिग्ध धार्मिक गतिविधियों के गंभीर आरोप लगे हैं। एटीएस की जांच रिपोर्ट के बाद प्रशासन ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है और मदरसे की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।  

कौन हैं मौलाना शमसुल हुदा खान?
मौलाना शमसुल हुदा खान मूल रूप से संतकबीर नगर के दुधारा क्षेत्र के देवरिया लाला, चाईकला गांव के रहने वाले हैं। वो लंबे समय तक आजमगढ़ के एक अनुदानित मदरसे में आलिया शिक्षक के पद पर कार्यरत रहे। साल 2007 में वो ब्रिटेन चले गए और करीब दस साल वहीं रहे। 2013 में उन्होंने ब्रिटेन की नागरिकता ले ली, लेकिन इसके बावजूद यूपी मदरसा शिक्षा परिषद से वेतन लेना जारी रखा। ब्रिटेन से लौटने के बाद उन्होंने खलीलाबाद में मदरसा कुल्लियातुल बनातिर रजविया निस्वा की स्थापना की और खुद प्रबंधक बन गए। इसके साथ ही उन्होंने दो एनजीओ कुलियातुल बनातीर रजबिया एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी और रजा फाउंडेशन भी बनाई, जिनके जरिए विदेश से फंड जुटाया गया।  

क्या हैं उनके खिलाफ आरोप  ?
एटीएस और प्रशासन की जांच रिपोर्ट में सामने आया कि शमसुल हुदा खान ने विदेशों से मदरसों और समाजसेवा के नाम पर भारी फंड जुटाया था, लेकिन उस धन का इस्तेमाल संदिग्ध गतिविधियों में किया गया। रिपोर्ट के अनुसार वो पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर के कुछ समूहों से संपर्क में थे। साथ ही वो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से कट्टर इस्लामी विचार फैलाने में सक्रिय थे।  

आरोप ये भी हैं कि भारत की नागरिकता छोड़ने और ब्रिटेन का नागरिक बनने के बाद भी उन्होंने मदरसा परिषद से वेतन लिया और मदरसे का संचालन जारी रखा। जांच में ये भी पता चला कि मदरसे के निर्माण और संचालन में विदेशी फंड का इस्तेमाल किया गया और फिर उसी के नाम पर और पैसा जुटाने का नेटवर्क खड़ा किया गया।  

प्रशासन ने की बड़ी कार्रवाई  
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रवीण कुमार मिश्र की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि एटीएस वाराणसी की जांच में शमसुल हुदा खान की गतिविधियां संदिग्ध पाई गईं। इस आधार पर खलीलाबाद थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। साथ ही मदरसा कुल्लियातुल बनातिर रजविया (निस्वा) और उनकी दोनों एनजीओ की मान्यता रद्द कर दी गई है। प्रशासन ने पूरी रिपोर्ट लखनऊ स्थित मदरसा शिक्षा परिषद को भेज दी है और जांच को आगे बढ़ाने की सिफारिश की है। फिलहाल खलीलाबाद समेत पूरे इलाके में ये मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।

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