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Laddu Gopal Shrinagar 2025: लड्डू गोपाल का ऐसे श्रृंगार करें, भक्ति से चमकेगा भाग्य, घर में आएगी समृद्धि!

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लड्डू गोपाल यानी भगवान श्रीकृष्ण का बाल स्वरूप हर भक्त के घर में आस्था और भक्ति का केंद्र हैं. लड्डू गोपाल को एक बच्चे की तरह मानकर उनकी पूजा और श्रृंगार करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. हरे रंग की पोशाक, फूलों की माला, चंदन का तिलक और सच्ची भक्ति से उनका शृंगार करें, तो जीवन की हर बाधा दूर हो सकती है. आइए जानते हैं लड्डू गोपाल के श्रृंगार की खास विधियां-

हरे रंग की पोशाक है समृद्धि का प्रतीक
हरे रंग को समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. गणेश उत्सव के दौरान लड्डू गोपाल को हरे रंग की सिल्क या कॉटन की पोशाक पहनाएं. हरी चुनरी या दुपट्टा उनके श्रृंगार को और आकर्षक बनाता है. यह भगवान को प्रसन्न करता है और घर में खुशहाली लाता है. रोज नई पोशाक पहनाकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें.

फूलों का श्रृंगार लाता है दिव्यता 
लड्डू गोपाल को फूलों की माला बहुत प्रिय है. मोगरा, बेला या गुलाब के ताजे फूलों से माला बनाकर उनके गले में डालें. छोटे फूलों के कंगन, पायल या कुंडल बनाकर श्रृंगार करें. फूलों का मुकुट उनके स्वरूप को और निखारता है. फूलों की सुगंध से वातावरण में दिव्यता फैलती है इसलिए ये भक्ति को और गहरा करती है.

मोती और गहनों की चमक
लड्डू गोपाल के लिए बाजार में विशेष कंगन, कुंडल, कमरबंध और बाजूबंद उपलब्ध हैं. मोती या गहनों से उनका श्रृंगार करें. यह न केवल सौंदर्य बढ़ाता है बल्कि पूजा का फल भी कई गुना बढ़ाता है. गहनों से सजे लड्डू गोपाल घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं.

स्नान की पवित्र विधि
श्रृंगार से पहले स्वयं स्नान करें. इसके बाद लड्डू गोपाल को पहले सामान्य जल और फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से स्नान कराएं. इसके बाद साफ वस्त्र पहनाकर श्रृंगार शुरू करें. यह प्रक्रिया भक्ति और पवित्रता को बढ़ाती है.

चंदन का तिलक और इत्र लगाएं
लड्डू गोपाल के माथे पर चंदन का तिलक और मोगरा या चंदन का इत्र लगाएं. यह उनके स्वरूप को और भी दिव्य बनाता है. सुगंधित वातावरण से घर में शांति और सुख का माहौल बनता है.

सच्ची भक्ति सबसे बड़ा आभूषण
लड्डू गोपाल की सेवा में सबसे जरूरी है आपका भाव. श्रृंगार साधारण फूलों से हो या महंगे गहनों से सच्ची भक्ति और प्रेम ही भगवान को प्रसन्न करता है. शास्त्र कहते हैं, “भगवान भाव के भूखे हैं, दिखावे के नहीं.”

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