शारदीय नवरात्रि 2025: शुरू करें तैयारी, जानें पूजा सामग्री, कलश स्थापना मुहूर्त और विधि
- Editor 1
- 30 Aug 2025 01:01:07 PM
शारदीय नवरात्रि 2025 का पावन पर्व 22 सितंबर से शुरू हो रहा है, जो 2 अक्टूबर को विजयदशमी के साथ समाप्त होगा। यह नौ दिनों का उत्सव मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा और भक्ति का प्रतीक है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाता है। इस दौरान भक्तजन मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान से पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं और गरबा-डांडिया जैसे उत्सवों में हिस्सा लेते हैं। नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है कलश स्थापना (घटस्थापना), जो पर्व की शुरुआत को चिह्नित करता है। आइए जानें इस पर्व की तैयारी के लिए जरूरी सामग्री, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और सही विधि।
हिंदू पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। इस साल यह पर्व 22 सितंबर 2025, सोमवार से शुरू होगा और 1 अक्टूबर तक चलेगा, जिसके बाद 2 अक्टूबर को विजयदशमी मनाई जाएगी। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों- शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री- की पूजा की जाती है। इस बार नवरात्रि में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और हस्त योग का संयोग बन रहा है, और मां दुर्गा की सवारी हाथी होगी, जो ज्ञान, शांति और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।
पूजा सामग्री लिस्ट
नवरात्रि की पूजा और कलश स्थापना के लिए निम्नलिखित सामग्री पहले से तैयार कर लें:
कलश: तांबे या पीतल का एक साफ कलश।
मिट्टी का पात्र: जौ बोने के लिए मिट्टी से भरा एक छोटा मटका।
जौ (बार्ली): समृद्धि और विकास के प्रतीक के रूप में बोने के लिए।
गंगा जल: कलश में डालने के लिए पवित्र जल।
सिक्के और सुपारी: पूजा में अर्पण के लिए।
मौली (लाल धागा): कलश को बांधने के लिए।
नारियल: लाल कपड़े में लपेटकर कलश पर रखने के लिए।
मैंगो/अशोक के पत्ते: कलश को सजाने के लिए।
लाल कपड़ा: पूजा स्थल और नारियल को ढकने के लिए।
मां दुर्गा की मूर्ति/तस्वीर: पूजा के लिए।
दिया और अगरबत्ती: पूजा के लिए दीपक और धूप।
फूल और माला: मां दुर्गा को अर्पित करने के लिए।
प्रसाद: मिठाई, फल, और पंचमेवा।
रोली, चंदन, हल्दी, कुमकुम: तिलक और पूजा के लिए।
सप्तधान (सात अनाज): जौ बोने के लिए वैकल्पिक।
दुर्गा सप्तशती पाठ: पूजा के लिए पवित्र ग्रंथ।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखें, क्योंकि गलत समय पर स्थापना से पूजा का प्रभाव कम हो सकता है। 2025 में कलश स्थापना का समय इस प्रकार है:
प्रतिपदा तिथि: 22 सितंबर 2025, सोमवार, रात 1:23 बजे से शुरू होकर 23 सितंबर को रात 2:55 बजे तक।
शुभ मुहूर्त: सुबह 6:09 बजे से 8:06 बजे तक (लगभग 2 घंटे)।
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:49 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक।
इन समयों में कलश स्थापना करने से सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
कलश स्थापना की विधि
कलश स्थापना नवरात्रि का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो मां दुर्गा की उपस्थिति को आमंत्रित करता है। इसे सही विधि से करें:
स्नान और शुद्धि: प्रातःकाल स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध करें।
पूजा स्थल तैयार करें: एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। इसके केंद्र में मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
मिट्टी का पात्र: एक मिट्टी के पात्र में मिट्टी भरें और उसमें जौ के बीज बोएं। इसे चौकी के पास रखें। जौ बोते समय निम्न मंत्र बोलें:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।कलश तैयार करें: एक तांबे/पीतल के कलश को गंगा जल से धोएं। इसमें गंगा जल, सिक्के, सुपारी, और थोड़े चावल डालें।
कलश सजाएं: कलश पर मौली बांधें। मैंगो या अशोक के पत्ते इसके मुंह पर रखें। एक नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर रखें।
मां दुर्गा का आह्वान: दीपक और अगरबत्ती जलाएं। निम्न मंत्र के साथ मां दुर्गा को कलश में आमंत्रित करें:
ॐ आद्य शक्तये नमः।पूजा: फूल, माला, प्रसाद, और रोली-चंदन अर्पित करें। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या मां के मंत्र जपें।
नित्य पूजा: नौ दिनों तक रोज सुबह-शाम दीप जलाएं, फूल अर्पित करें, और जौ के पौधे पर जल छिड़कें।
नवरात्रि पूजा का शेड्यूल
22 सितंबर 2025: मां शैलपुत्री की पूजा (प्रतिपदा, कलश स्थापना)
23 सितंबर 2025: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा (द्वितीया)
24 सितंबर 2025: मां चंद्रघंटा की पूजा (तृतीया)
25 सितंबर 2025: तृतीया तिथि (जारी)
26 सितंबर 2025: मां कूष्मांडा की पूजा (चतुर्थी)
27 सितंबर 2025: मां स्कंदमाता की पूजा (पंचमी)
28 सितंबर 2025: मां कात्यायनी की पूजा (षष्ठी)
29 सितंबर 2025: मां कालरात्रि की पूजा (सप्तमी)
30 सितंबर 2025: मां महागौरी की पूजा (महाअष्टमी)
1 अक्टूबर 2025: मां सिद्धिदात्री की पूजा (महानवमी)
2 अक्टूबर 2025: विजयदशमी, दुर्गा विसर्जन
अतिरिक्त सुझाव
नवरात्रि के दौरान सात्विक भोजन करें और मांस, मछली, अंडा, लहसुन, प्याज, और शराब से परहेज करें।
रोजाना दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या मां दुर्गा के मंत्रों का जप करें।
पूजा स्थल को साफ और पवित्र रखें।
व्रत रखने वाले भक्त फलाहार या सेंधा नमक का भोजन लें।
शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा की भक्ति और आत्मिक शुद्धि का समय है। सही सामग्री, शुभ मुहूर्त और विधि के साथ पूजा करने से भक्तों को मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अभी से अपनी तैयारी शुरू करें और इस पर्व को भक्ति और उत्साह के साथ मनाएं।
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