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Pitru Paksha में भूलकर भी न करें ये गलतियां, Ujjain के आचार्य की सलाह, बचें पितृदोष से!

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हिंदू धर्म में पितृपक्ष का खास महत्व है। ये समय अपने पूर्वजों को याद करने और उन्हें सम्मान देने का होता है। भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक चलने वाले इन 15 दिनों में पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। लेकिन उज्जैन के मशहूर आचार्य आनंद भारद्वाज के मुताबिक, पितृपक्ष में कुछ काम भूलकर भी नहीं करने चाहिए वरना पितृदोष का खतरा हो सकता है। आइए जानें इन नियमों को-

पितृदोष क्या है?
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि अगर पूर्वजों की आत्माएं तृप्त नहीं होतीं तो वो अपने वंशजों को कष्ट दे सकती हैं। इसे ही पितृदोष कहते हैं। मान्यता है कि पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्माएं धरती पर आती हैं और अपने परिवार को आशीर्वाद देती हैं। लेकिन कुछ गलतियां इस दौरान पितृदोष को बढ़ा सकती हैं। इसलिए इन 15 दिनों में खास सावधानी बरतनी चाहिए ताकि पूर्वजों का आशीर्वाद मिले और जीवन में सुख-शांति बनी रहे।

इन चीजों को खरीदने से बचें
पितृपक्ष में कुछ खास चीजें खरीदना अशुभ माना जाता है। आचार्य आनंद भारद्वाज के अनुसार, इस दौरान जूते, चप्पल और नए कपड़े खरीदने से बचें। सोना, चांदी या कोई कीमती धातु भी न खरीदें। ये काम पितृदोष को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा विवाह, सगाई जैसे मांगलिक काम भी इस समय नहीं करने चाहिए। इन नियमों का पालन करने से पितरों की आत्माएं प्रसन्न रहती हैं और परिवार पर कृपा बरसती है।

खानपान पर दें ध्यान
पितृपक्ष में खानपान का खास ख्याल रखें। इस दौरान प्याज, लहसुन, मांस, मछली और अंडा जैसी तामसिक चीजें खाने से परहेज करें। आचार्य बताते हैं कि सात्विक भोजन अपनाने से पितरों को शांति मिलती है। साथ ही धार्मिक कामों में ध्यान दें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। दूसरों के साथ बुरा बर्ताव न करें और बड़ों का सम्मान करें। ये छोटी-छोटी बातें पितृदोष से बचाने में बड़ी भूमिका निभाती हैं।

इन मंत्रों से करें पितरों को खुश
पितृपक्ष में कुछ खास मंत्रों का जाप करने से पूर्वजों की आत्माएं तृप्त होती हैं। आचार्य सलाह देते हैं कि रोजाना इन मंत्रों का जाप करें:
1. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
2. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।
3. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
ये मंत्र न सिर्फ पितरों को शांति देते हैं बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि भी लाते हैं।

पितृपक्ष में करें ये काम
पितृपक्ष में तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान के साथ-साथ दान-पुण्य करें। गरीबों को भोजन और जरूरत का सामान देना शुभ माना जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए गाय, कौआ और कुत्तों को भोजन खिलाएं। इन छोटे-छोटे कामों से पितृदोष दूर होता है और परिवार पर पितरों की कृपा बनी रहती है। आचार्य की सलाह मानकर इस पितृपक्ष को सही तरीके से मनाएं और अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाएं।

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