Anant Chaturdashi 2025: रक्षा सूत्र की 14 गांठों का रहस्य, पितृदोष से बचने के लिए करें ये काम!
- Shubhangi Pandey
- 06 Sep 2025 01:10:45 PM
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इस साल 6 सितंबर 2025 को ये पर्व आएगा। इस दिन गणेश उत्सव का समापन होता है और भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। अनंत चतुर्दशी पर लोग 14 गांठों वाला रक्षा सूत्र बांधते हैं, जिसे अनंत सूत्र कहते हैं। ये धागा क्यों बांधा जाता है, 14 गांठों का क्या महत्व है और इसे बाद में क्या करना चाहिए? आइए जानें।
अनंत चतुर्दशी का खास महत्व
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, अनंत चतुर्दशी का व्रत महाभारत काल से शुरू हुआ। जब पांडव मुश्किलों में थे, तब इस व्रत ने उनके संकट दूर किए। तभी से ये पर्व सुख-समृद्धि और संकटों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और रक्षा सूत्र बांधने से पितृदोष से छुटकारा मिलता है और जीवन में शांति आती है।
14 गांठों वाला सूत्र क्यों खास?
हिंदू मान्यताओं में अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु के 14 रूपों और 14 लोकों से जोड़ा जाता है। ये 14 लोक हैं- भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल। अनंत सूत्र की 14 गांठें इन लोकों और विष्णु के 14 रूपों (अनंत, ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, वैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर, गोविंद) का प्रतीक हैं। ये सूत्र बांधने से भय, पाप और पितृदोष से मुक्ति मिलती है। कहते हैं कि 14 साल तक ये व्रत करने से बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
अनंत सूत्र बांधने का सही तरीका
अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा के बाद अनंत सूत्र बांधा जाता है। पुरुष इसे दाहिने और महिलाएं बाएं हाथ की कलाई पर बांधते हैं। सूत्र को हल्दी या केसर से रंगकर 14 गांठें लगाएं। फिर इसे भगवान को अर्पित करें और मंत्र “ॐ अनंताय नम: या अनंतसागर महासमुद्रे मग्नान्समभ्युद्धर वासुदेव...” का जाप करें। पूजा के बाद सूत्र को बांध लें। रात को सोते समय इसे उतारकर सुरक्षित रखें।
सूत्र उतारने का नियम
अनंत सूत्र को 14 दिन तक धारण करने के बाद या पूजा वाले दिन उतारना चाहिए। इसे उतारते समय “ॐ अनंताय नमः” मंत्र का जाप करें। सूत्र को अगले दिन किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करें। अगर नदी पास न हो तो इसे पूजा स्थल पर रखकर बाद में प्रवाहित करें। इस नियम का पालन करने से पितरों की कृपा मिलती है।
इन गलतियों से बचें
पितृपक्ष में अनंत चतुर्दशी का खास महत्व है। इस दौरान जूते, कपड़े, सोना-चांदी खरीदने से बचें। विवाह जैसे मांगलिक काम न करें। तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांस से परहेज करें। धार्मिक कार्यों में ध्यान दें और बड़ों का सम्मान करें। इन नियमों से पितृदोष दूर होगा और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा।
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