घर में अशांति का कारण है पितृदोष? पितृपक्ष में इन 5 उपायों से पाएं सुख-शांति!
- Shubhangi Pandey
- 06 Sep 2025 01:16:54 PM
हिंदू धर्म में पितृपक्ष का खास महत्व है। इस साल 7 सितंबर से 21 सितंबर तक पितृपक्ष मनाया जाएगा। ये वो समय है जब पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं। मान्यता है कि अगर पितृदोष हो तो घर में अशांति, झगड़े, आर्थिक तंगी और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती हैं। लेकिन चिंता न करें पितृपक्ष के 15 दिन पितृदोष से मुक्ति का सुनहरा मौका हैं। आइए जानें कुछ आसान और असरदार उपाय।
पितृदोष क्या है?
शास्त्रों के मुताबिक, जब पूर्वजों की आत्माएं तृप्त नहीं होतीं तो वो अपने वंशजों को कष्ट दे सकती हैं। इसे पितृदोष कहते हैं। ये दोष तीन पीढ़ियों तक असर दिखा सकता है। घर में मांस-मदिरा का सेवन या गलत काम करने से पितृ नाराज हो सकते हैं। इससे घर का माहौल अशांत हो जाता है, लड़ाई-झगड़े बढ़ते हैं, संतान या विवाह में रुकावट आती है और कारोबार में नुकसान होता है। पितृपक्ष में सही उपाय करने से ये दोष दूर हो सकता है।
पितृपक्ष में करें ये जरूरी काम
पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करें। ये कर्म शास्त्रों के अनुसार विधि-विधान से करने चाहिए। पितरों को तृप्त करने के लिए गाय, कौआ और कुत्तों को भोजन खिलाएं। ये छोटा सा काम पितृदोष को कम करता है और परिवार पर पितरों की कृपा बरसती है। इसके अलावा गरीबों को भोजन, कपड़े या जरूरी सामान दान करें। ये पुण्य का काम पितरों को खुश करता है।
ब्राह्मण भोजन और दान का महत्व
पितृपक्ष में ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान-दक्षिणा देना बेहद शुभ माना जाता है। ब्राह्मणों को सम्मान के साथ विदा करें। ये काम न सिर्फ पितृदोष से मुक्ति दिलाता है बल्कि घर में सुख-समृद्धि भी लाता है। पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार की परेशानियां कम होती हैं।
गीता पाठ का चमत्कार
पितृदोष से छुटकारा पाने के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करना बहुत फायदेमंद है। रोजाना सुबह या शाम को शांत मन से गीता पाठ करें। ये न सिर्फ पितरों को शांति देता है बल्कि आपके मन को भी सुकून देता है। ये उपाय आसान है और घर पर ही किया जा सकता है।
इन गलतियों से बचें
पितृपक्ष में मांस, मछली, अंडा, प्याज और लहसुन जैसे तामसिक भोजन से बचें। झूठ बोलना, बड़ों का अपमान या गलत काम करने से पितृ नाराज हो सकते हैं। इस दौरान सात्विक जीवन जिएं और धार्मिक कार्यों में समय बिताएं। पितृपक्ष में पवित्र नदियों में स्नान करें और दान-पुण्य करें।
पितृदोष मुक्ति का सुनहरा मौका
पितृपक्ष के 15 दिन पितरों को खुश करने का सबसे अच्छा समय है। श्राद्ध, तर्पण, दान और गीता पाठ जैसे उपायों से पितृदोष को दूर करें। ये छोटे-छोटे कदम आपके घर में शांति और समृद्धि ला सकते हैं। इस पितृपक्ष में अपने पूर्वजों का आशीर्वाद लें और परिवार को सुखी बनाएं।
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