Ganesh Visarjan 2025: बप्पा की विदाई के बाद पीछे मुड़कर क्यों नहीं देखते? जानें रहस्य!
- Shubhangi Pandey
- 06 Sep 2025 01:42:57 PM
6 सितंबर 2025 को अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन की धूम रहेगी। बप्पा को जितने उत्साह से घर या पंडाल में लाया जाता है उतनी ही शान से ढोल-नगाड़ों के साथ उनकी विदाई की जाती है। कुछ लोग डेढ़, तीन, पांच या सात दिन में विसर्जन करते हैं लेकिन सबसे ज्यादा अनंत चतुर्दशी पर बप्पा को विदा किया जाता है। विसर्जन के बाद एक खास नियम है- पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। आखिर इसका क्या कारण है? आइए जानें इसकी धार्मिक और आध्यात्मिक वजहें।
बप्पा हैं विघ्नहर्ता
हिंदू धर्म में गणेशजी प्रथम पूज्य हैं। हर शुभ काम से पहले उनकी पूजा की जाती है। मान्यता है कि बप्पा की पूजा से जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। ये सुख, शांति और समृद्धि लाते हैं। साथ ही कुंडली में बुध ग्रह को मजबूत करते हैं और कई दोषों से मुक्ति दिलाते हैं। गणेश चतुर्थी पर बप्पा को घर लाकर 10 दिन तक उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है। फिर अनंत चतुर्दशी पर ढोल-नगाड़ों के साथ उनकी विदाई होती है। इस दौरान भक्त गलतियों की माफी मांगते हैं और अगले साल जल्दी आने की प्रार्थना करते हैं।
विसर्जन के बाद पीछे क्यों न देखें?
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, गणेश विसर्जन के बाद पीछे मुड़कर देखना अशुभ है। इसका मतलब है कि हमें जीवन में हमेशा आगे बढ़ना चाहिए और बप्पा पर पूरा भरोसा रखना चाहिए। वो हमेशा हमारे साथ हैं। पीछे मुड़कर देखना बप्पा से बिछड़ने का दुख दर्शाता है, जो भक्ति के भाव को कमजोर करता है। शास्त्र कहते हैं कि पूजा और व्रत का पूरा फल तभी मिलता है जब हम मोह छोड़कर अगले साल बप्पा के स्वागत का संकल्प लें। ये नियम हमें सकारात्मक सोच की ओर ले जाता है।
पीछे देखना अविश्वास का प्रतीक
विसर्जन का मतलब है कि बप्पा जल में विलीन होकर फिर सुख-समृद्धि के रूप में हमारे जीवन में लौटेंगे। पीछे मुड़कर देखना बप्पा पर अविश्वास का संकेत माना जाता है। ऐसा करने से साधना की शक्ति कम हो सकती है। विसर्जन सिर्फ मूर्ति का जल में विलीन होना नहीं, बल्कि ये हमारे अहंकार, पाप और दुखों को छोड़ने का प्रतीक है। पीछे देखने से पुरानी नकारात्मकता को फिर से पकड़ने जैसा है। इसलिए विसर्जन के बाद आगे बढ़ना और नई ऊर्जा का स्वागत करना जरूरी है।
बप्पा की विदाई के नियम
विसर्जन के दौरान बप्पा की मूर्ति को पवित्र नदी या जलाशय में विसर्जित करें। ढोल-नगाड़ों के साथ उनकी विदाई करें। गलतियों की माफी मांगें और अगले साल जल्दी आने की प्रार्थना करें। विसर्जन के बाद पीछे न देखें और मन में बप्पा के प्रति श्रद्धा रखें। ये नियम न सिर्फ धार्मिक है बल्कि ये हमें जीवन में सकारात्मकता और विश्वास के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। इस अनंत चतुर्दशी पर बप्पा को सही तरीके से विदा करें और उनके आशीर्वाद से जीवन को समृद्ध बनाएं।
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