Pitru Paksha 2025: अज्ञात पितरों की आत्मा की शांति का आखिरी मौका, 8 से 21 September तक अपनाएं ये चमत्कारी उपाय!
- Ankit Rawat
- 07 Sep 2025 03:11:09 PM
पितृ पक्ष 8 सितंबर रविवार से शुरू हो रहा है। हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक ये 15 दिन पितरों को समर्पित हैं। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और दान किया जाता है। पितर यानी परिवार के वो लोग, जिनका निधन हो चुका है, जैसे माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी या अन्य रिश्तेदार। आमतौर पर जिस तिथि पर पितर का निधन हुआ हो, उसी दिन उनका श्राद्ध किया जाता है। लेकिन अगर आपको मृत्यु की तिथि नहीं पता, तो क्या करें? शास्त्रों में इसका आसान समाधान है। आइए जानते हैं।
मृत्यु तिथि नहीं पता, फिर कैसे करें श्राद्ध?
शास्त्रों के मुताबिक, अगर किसी पितर की मृत्यु तिथि मालूम नहीं है, तो उनके लिए सर्व पितृ अमावस्या सबसे सही दिन है। ये दिन आश्विन माह की अमावस्या को आता है, जो इस साल 21 सितंबर, रविवार को है। इस दिन आप भूले-बिसरे, ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान और दान कर सकते हैं। खासकर उन विधवा माताओं, बहनों या महिला रिश्तेदारों के लिए भी ये दिन उपयुक्त है, जिनकी मृत्यु तिथि नहीं पता।
मातृ श्राद्ध का खास दिन
पितृ पक्ष में नवमी तिथि को मातृ श्राद्ध या नवमी श्राद्ध कहा जाता है। ये दिन उन सुहागन माताओं या महिला पितरों के लिए है, जो अपने जीवनसाथी के रहते स्वर्ग सिधार गईं। इस दिन उनका श्राद्ध विशेष रूप से किया जाता है। अगर उनकी मृत्यु तिथि पता है, तो उसी तिथि पर श्राद्ध करें, वरना सर्व पितृ अमावस्या पर कर सकते हैं।
क्यों खास है सर्व पितृ अमावस्या?
सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष का आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन सभी पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान और दान किए जाते हैं। अगर परिवार में कई पितरों की मृत्यु तिथियां नहीं मालूम हैं, तो ये दिन सभी के लिए श्राद्ध करने का सही मौका है। इस दिन पंचबलि कर्म भी किया जाता है, जिसमें पितरों के साथ-साथ अन्य आत्माओं के लिए भी दान दिया जाता है।
श्राद्ध-तर्पण के लिए आसान टिप्स
सही समय चुनें: श्राद्ध सुबह या दोपहर में करें। पितरों के लिए तर्पण सूर्योदय के समय सबसे अच्छा माना जाता है।
शुद्धता का ध्यान रखें: श्राद्ध से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
पंडित की मदद लें: अगर शास्त्रों की पूरी जानकारी नहीं है, तो किसी जानकार पंडित से संपर्क करें।
दान करें: गरीबों को भोजन, कपड़े या दान देना पितरों की आत्मा को शांति देता है।
पितरों को दें सम्मान
पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को याद करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करना हिंदू संस्कृति का अहम हिस्सा है। अगर तिथि नहीं पता, तो सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध जरूर करें। ये छोटा सा प्रयास आपके पितरों को तृप्ति देगा और आपके परिवार को सुख-शांति का आशीर्वाद मिलेगा।
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