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समुद्र के किनारे बसा है मुरुदेश्वर मंदिर, दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची शिव प्रतिमा भी है यहां, जानिए क्यों है खास

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कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में भटकल तालुक के पास अरब सागर के किनारे बसा मुरुदेश्वर मंदिर आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य का अनोखा मेल है। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और तीन तरफ से समुद्र से घिरी कंडुका पहाड़ी पर बना है। इसकी 123 फीट ऊंची शिव प्रतिमा दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची शिव प्रतिमा है और 237 फीट का राजा गोपुरम भारत का दूसरा सबसे ऊंचा गोपुरम है। ये मंदिर न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है बल्कि रामायण काल की कहानी और द्रविड़ वास्तुकला के लिए भी मशहूर है।  

विशाल शिव प्रतिमा और भव्य गोपुरम  
मुरुदेश्वर मंदिर की सबसे खास बात है इसकी 123 फीट ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा। इसे बनाने में दो साल लगे और ये दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची शिव मूर्ति है। समुद्र के किनारे बनी ये प्रतिमा इतनी भव्य है कि दूर-दूर से लोग इसे देखने आते हैं। मंदिर का 237 फीट ऊंचा राजा गोपुरम 20 मंजिलों वाला है। पर्यटक लिफ्ट से इसकी सबसे ऊपरी मंजिल तक जा सकते हैं जहां से अरब सागर और शिव प्रतिमा का शानदार नजारा दिखता है।  

रामायण से जुड़ी पौराणिक कहानी  
मुरुदेश्वर मंदिर की कहानी शिव पुराण और रामायण से जुड़ी है। कथा है कि लंकापति रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या की। शिव ने रावण को आत्मलिंग दिया जो अमरत्व और शक्ति का प्रतीक था। रावण को ये लिंग लंका ले जाना था मगर देवताओं को डर था कि वो इसका गलत इस्तेमाल करेगा। इसलिए उन्होंने रावण को सूर्यास्त से पहले आत्मलिंग जमीन पर रखने के लिए मजबूर किया। नियम था कि आत्मलिंग जहां रखा जाएगा वो वहीं स्थापित हो जाएगा। गुस्से में रावण ने इसे तोड़ने की कोशिश की मगर वो अटल रहा। इस दौरान आत्मलिंग को ढकने वाला कपड़ा मुरुदेश्वर में गिरा जिसके बाद ये जगह पवित्र हो गई।  

धार्मिक और पर्यटक स्थल  
मुरुदेश्वर मंदिर चालुक्य और कदंब शैली की द्रविड़ वास्तुकला का शानदार नमूना है। मंदिर परिसर में शिव प्रतिमा के अलावा एक सुनहरा सूर्य रथ भी है जो भगवद् गीता के दृश्य को दर्शाता है। यहां एक गुफा मंदिर भी है जहां रावण और आत्मलिंग की कहानी को मूर्तियों के जरिए दिखाया गया है। मंदिर का समुद्र तट भी पर्यटकों को खूब लुभाता है। कर्नाटक पर्यटन विभाग के मुताबिक ये जगह न सिर्फ धार्मिक बल्कि एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल भी है।  

खास मौकों पर उमड़ती है भीड़  
महाशिवरात्रि और सावन के महीने में मुरुदेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। भक्त यहां जलाभिषेक और रुद्राभिषेक जैसे धार्मिक अनुष्ठान करने आते हैं। मंदिर का प्राकृतिक सौंदर्य और भव्यता इसे देश-विदेश के पर्यटकों के लिए खास बनाती है। मुरुदेश्वर मंदिर आस्था और प्रकृति का अनोखा संगम है। अगर आप आध्यात्मिक यात्रा और खूबसूरत नजारों के शौकीन हैं तो ये जगह आपके लिए परफेक्ट है।

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