पितृपक्ष में ब्राह्मण को भोजन कराते समय भूल से भी न करें ये गलतियां, वरना पितर हो जाएंगे नाराज!
- Shubhangi Pandey
- 13 Sep 2025 12:16:48 PM
हिंदू धर्म में पितृपक्ष का समय पूर्वजों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ करने का माना जाता है। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और ब्राह्मण भोजन का खास महत्व होता है। मान्यता है कि ब्राह्मण को श्रद्धा से कराया गया भोजन सीधा पितरों तक पहुंचता है। इसलिए पितृपक्ष में ब्राह्मण को भोजन कराने के नियमों का सही पालन करना बेहद जरूरी है।
योग्य ब्राह्मण को ही करें आमंत्रित
ब्राह्मण भोज सिर्फ एक परंपरा नहीं है बल्कि एक धार्मिक प्रक्रिया है। ऐसे में सबसे जरूरी बात है कि उस ब्राह्मण का चयन सोच-समझकर करें। हमेशा ऐसे ब्राह्मण को बुलाएं जो धर्म-कर्म में आस्था रखते हों और रोज पूजा-पाठ करते हों। साथ ही उन्हें साफ बता दें कि ये भोज श्राद्ध का है और वो उसी दिन किसी और घर में ऐसा भोजन न करें।
पितरों की पसंद का बनाएं भोजन
पितृपक्ष में जब ब्राह्मण को भोजन कराएं तो उस खाने में वो व्यंजन जरूर बनाएं जो आपके पूर्वजों को पसंद थे। ऐसा करने से माना जाता है कि पितर तृप्त होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। भोजन हमेशा शुद्ध और सात्विक होना चाहिए। इसमें लहसुन-प्याज का बिल्कुल प्रयोग न करें।
दक्षिण दिशा की ओर बिठाकर कराएं भोजन
धार्मिक मान्यता के अनुसार पितरों की दिशा दक्षिण मानी जाती है। पितृपक्ष के दौरान कहा जाता है कि पितर इसी दिशा से धरती पर आते हैं। इसलिए ब्राह्मण को भोजन कराते समय उन्हें दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठाना चाहिए। इससे पितर प्रसन्न होते हैं।
बर्तनों का रखें खास ध्यान
ब्राह्मण को भोजन परोसने के लिए कांसे, पीतल, चांदी या फिर पत्तल का ही उपयोग करें। भूलकर भी स्टील या लोहे की थाली में भोजन न परोसें। ये अशुभ माना जाता है और इससे पितरों को अपमान का अनुभव हो सकता है।
दोपहर का समय है सबसे शुभ
श्राद्ध कर्म हमेशा दोपहर के समय करना चाहिए। यही समय पितरों के आगमन और तर्पण के लिए सबसे उत्तम माना गया है। इसलिए ब्राह्मण को भी दोपहर के भोजन के लिए ही बुलाएं और उसी समय श्राद्ध कराएं।
भोजन के बाद जरूर दें दक्षिणा और लें आशीर्वाद
भोजन कराने के बाद ब्राह्मण को आदर के साथ कुछ दक्षिणा जरूर दें। अपनी सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र, धन या अनाज दें और उनसे आशीर्वाद लें। साथ ही किसी भी तरह की भूल-चूक के लिए क्षमा मांगना न भूलें।
घरवाले सबसे अंत में करें भोजन
पितृपक्ष में पहले ब्राह्मण को भोजन कराएं और उसके बाद ही घर के बाकी सदस्य प्रसाद रूपी भोजन करें। यही परंपरा है और यही पितरों की कृपा पाने का तरीका भी।
बता दें कि पितृपक्ष में ब्राह्मण को भोजन कराना सिर्फ परंपरा नहीं बल्कि पितरों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक है। इन नियमों का पालन कर आप न सिर्फ पूर्वजों को तृप्त कर सकते हैं बल्कि उनका आशीर्वाद भी पा सकते हैं। छोटे-छोटे नियम भी बड़ी कृपा दिला सकते हैं इसलिए इन्हें नजरअंदाज न करें।
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