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चतुर्दशी श्राद्ध 2025: आज करें पितरों का श्राद्ध, शनिवार व्रत से मिलेगी सुख-समृद्धि और शनि दोष से मुक्ति

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आज 20 सितंबर 2025 को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। ये दिन खास तौर पर उन पितरों के श्राद्ध के लिए है जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो जैसे दुर्घटना, हत्या या आत्महत्या। इसे ‘घट चतुर्दशी’ या ‘चौदस श्राद्ध’ भी कहते हैं। आज सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा सिंह राशि में रहेगा। साथ ही आज शनिवार है जो शनिदेव को समर्पित है। इस दिन शनिवार व्रत रखने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से छुटकारा मिलता है। ये दोनों पूजा परिवार में सुख, समृद्धि और लंबी आयु का आशीर्वाद दिलाती हैं।

कैसे करें चतुर्दशी श्राद्ध?
गरुड़ पुराण के मुताबिक चतुर्दशी श्राद्ध सिर्फ अकाल मृत्यु वाले पितरों के लिए होता है। सामान्य मृत्यु वाले पितरों का श्राद्ध आज नहीं करना चाहिए। श्राद्ध में पितरों को तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन कराएं। इससे पितर संतुष्ट होकर परिवार को यश, धन और सुख का आशीर्वाद देते हैं। आज अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:50 से दोपहर 12:39 तक रहेगा। वहीं राहुकाल सुबह 9:11 से 10:43 तक है। इस समय श्राद्ध से बचें।

शनिवार व्रत से दूर करें शनि दोष 
अग्नि पुराण कहता है कि शनिवार व्रत से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कम होता है। सात शनिवार तक व्रत रखने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। व्रत शुरू करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें। शनिदेव की मूर्ति को जल से स्नान कराकर काले वस्त्र, काले तिल, काली उड़द और सरसों का तेल चढ़ाएं। फिर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। रोली और फूल अर्पित कर ‘शं शनैश्चराय नम:’ और ‘सूर्य पुत्राय नम:’ का जाप करें। 

हनुमान चालीसा और पीपल पूजा का महत्व 
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करें। राजा दशरथ रचित ‘शनि स्तोत्र’ का पाठ भी जरूरी है। मान्यता है कि पीपल के पेड़ में शनिदेव का वास होता है। आज पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और छाया दान करें। ये उपाय नकारात्मकता दूर करते हैं और शनिदेव की कृपा दिलाते हैं। इस चतुर्दशी श्राद्ध और शनिवार व्रत से पितरों की आत्मा को शांति और परिवार को समृद्धि मिलेगी।

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