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विंध्याचल का अनोखा चमत्कार, दर्शन से अश्वमेध यज्ञ जैसा फल मिलता है

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मिर्जापुर‑विंध्याचल धाम उत्तर प्रदेश में भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यहां “त्रिकोण” नाम से एक पवित्र यात्रा पथ है जिसमें तीन महाशक्तियां — महामाया मां विंध्यवासिनी (महालक्ष्मी), महाकाली और महासरस्वती — एक‑एक कोणों पर विराजमान हैं । कहा जाता है कि इस त्रिकोण का दर्शन करके भक्तों को अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है।

त्रिकोण यात्रा क्या है?
त्रिकोण पथ में मां विंध्यवासिनी धाम से शुरुआत होती है जहां मां का स्वरूप महालक्ष्मी के रूप में है । फिर यात्रा आगे बढ़ती है कालिकोह की ओर जहां मां महाकाली विराजमान हैं। फिर अष्टभुजा देवी मंदिर में महासरस्वती के दर्शन होते हैं, जो एक पहाड़ी पर स्थित है ।

14‑किलोमीटर की है यात्रा
त्रिकोण यात्रा करीब 14 किलोमीटर की है। इस पूरे क्षेत्र को सिद्धपीठ माना गया है क्योंकि यहां मां विंध्यवासिनी का स्वरूप स्वयम्भू है और पूरी शक्ति माता के रूप में संपूर्ण तन और स्वरूप से विराजमान है।

अश्वमेध यज्ञ जैसा फल मिलता है !
 भक्तों का मानना है कि त्रिकोण यात्रा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ‒ धन, संतान, यश‑कीर्ति मिलती है। इस यात्रा के दौरान प्रथम महालक्ष्मी से धन और समृद्धि की प्रार्थना होती है, फिर महाकाली से अहंकार (घमंड) मिटाने की शक्ति मिलती है, अन्त में महासरस्वती से ज्ञान‑बुद्धि प्राप्त होती है।

ध्यान देने लायक बातें
हर तीर्थयात्री को यात्रा शुरू करने से पहले स्वास्थ्य की स्थिति देखनी चाहिए क्योंकि पूरे पथ में ऊंचाई‑चढ़ाव हैं। मार्ग पर कई मंदिर हैं जैसे रामेश्वरम महादेव, बैटुक भैरव आदि, दर्शन‑पूजा के अवसर मिलते हैं। सहूलियतों के लिए मार्ग सुधार हो रहे हैं और प्रशासन द्वारा यातायात एवं दर्शन व्यवस्था बेहतर बनाने के काम चल रहे हैं।
त्रिकोण यात्रा विन्ध्याचल त्रिकोण कहलाती है क्योंकि तीनों महाशक्तियां तीनों कोनों पर विराजमान हैं और इनका समापण “पथ” के रूप में भक्त का आस्था मार्ग बनता है। अगर मित्र, परिवार या आप खुद तीर्थयात्रा करना चाहो तो ये यात्रा न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से बल्कि भावनात्मक आस्था के लिए भी अद्वितीय अनुभव है।

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