नवरात्रि का पांचवां दिन: मां स्कंदमाता की पूजा से पाएं आरोग्य और सुख, जानें शुभ मुहूर्त, भोग, मंत्र और आरती
- Shubhangi Pandey
- 26 Sep 2025 12:16:54 PM
नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है। मां का ये रूप ममता और शक्ति का अनूठा संगम है। सिंह पर सवार मां अपनी गोद में पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को लिए हुए हैं। इसीलिए उन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। ये दिन भक्तों के लिए खास है क्योंकि मां की पूजा से आरोग्य, सुख और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि मां स्कंदमाता की पूजा कैसे करें, शुभ मुहूर्त क्या है और कौन से भोग-मंत्र से मां को प्रसन्न किया जा सकता है।
मां स्कंदमाता का अनोखा स्वरूप
मां स्कंदमाता का स्वरूप मां और पुत्र के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। विंध्यधाम के आचार्य पंडित रमेश शर्मा बताते हैं कि मां अपने पुत्र स्कंद को गोद में लेकर सिंह पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देती हैं। ये मां का सबसे उत्तम और शांत स्वरूप है। नवरात्रि के पांचवें दिन कई जगह मां दुर्गा और काली की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाती हैं। पंचमी को स्थापित मूर्तियों का दशमी के दिन विसर्जन होता है। मां की पूजा से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शुभ मुहूर्त और पूजा की आसान विधि
नवरात्रि के पांचवें दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। पूजा स्थल को साफ करके पीले कपड़े से सजाएं क्योंकि मां को पीला रंग बेहद पसंद है। मां की मूर्ति या तस्वीर को पीले वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद दीप जलाएं और मां का ध्यान करें। मां को फूल, चंदन और केले से बना प्रसाद चढ़ाएं। पूजा के दौरान मां का मंत्र "ॐ देवी स्कंदमातायै नमः" का 108 बार जाप करें। पूजा के बाद मां की आरती करें। आरती के लिए "जय स्कंदमाता मैया, जय स्कंदमाता मैया..." गाएं। शुभ मुहूर्त सुबह 6:30 से 8:00 बजे तक और शाम 5:00 से 6:30 बजे तक है।
मखाना और केला है मां का प्रिय भोग
मां स्कंदमाता को मखाने और केले से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए। आचार्य बताते हैं कि मखाने की खीर या भुने मखाने का प्रसाद मां को चढ़ाने से भक्तों को आरोग्य मिलता है। केले से बनी मिठाई या कच्चा केला भी मां को अर्पित करें। भोग चढ़ाने के बाद प्रसाद को परिवार में बांटें। इससे घर में सुख-शांति आती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है। मां को पीले फूल और पीली मिठाई भी चढ़ा सकते हैं।
क्यों खास है मां की पूजा
मां स्कंदमाता की पूजा से न सिर्फ स्वास्थ्य बेहतर होता है बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है। ये मां भक्तों के सारे दुख-दर्द हर लेती हैं। पंडित रमेश शर्मा कहते हैं कि जो भक्त सच्चे मन से मां की पूजा करता है उसे मां कभी निराश नहीं करतीं। इस दिन कार्तिकेय की पूजा भी जरूर करें। इससे मां और पुत्र दोनों का आशीर्वाद मिलता है।
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