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शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन: मां कालरात्रि की उपासना, भक्तों को मिलती है संकटों से मुक्ति

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देशभर में आस्था और श्रद्धा के साथ मनाए जा रहे शारदीय नवरात्रि का आज सातवां दिन है, जिसे महा सप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि देवी का यह रूप अत्यंत भयानक दिखाई देता है, लेकिन भक्तों के लिए यह स्वरूप उतना ही कल्याणकारी और मंगलकारी है। माँ कालरात्रि को ‘सभी भय और संकटों को दूर करने वाली देवी’ कहा गया है।

कौन हैं माँ कालरात्रि?
देवी कालरात्रि का रूप श्यामवर्ण है, इनके गले में माला है और तीन नेत्र हैं, जिनसे अग्नि की ज्वालाएँ निकलती रहती हैं। इनके चार हाथों में से दो में खड्ग और वज्र हैं, जबकि अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा की स्थिति में रहते हैं। ये गधे पर सवार होती हैं और रात्रि के अंधकार का नाश करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माँ कालरात्रि की आराधना करने से शत्रुओं का नाश होता है और भक्त को भय से मुक्ति मिलती है।

सप्तमी का धार्मिक महत्व
नवरात्रि की सप्तमी को विशेष रूप से महा सप्तमी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन देवी दुर्गा ने राक्षसों का संहार करने के लिए भयानक स्वरूप धारण किया था। माँ कालरात्रि की पूजा से साधक को साहस, धैर्य और अटूट विश्वास प्राप्त होता है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि इस दिन विधिवत पूजन करने से ग्रह दोषों से भी छुटकारा मिलता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

पूजा विधि
आज सुबह से ही मंदिरों और घरों में श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा-अर्चना शुरू की। भक्त सबसे पहले मां कालरात्रि की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीप प्रज्वलित कर पूजा की थाली सजाते हैं। गूगल, गुड़, काले फूल और नींबू का अर्पण विशेष शुभ माना जाता है। पूजन के बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ और ‘ॐ देवी कालरात्र्यै नमः’ मंत्र का जाप करने से देवी प्रसन्न होती हैं।

देशभर में उत्सव का माहौल
उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में दुर्गा पूजा पंडालों में सप्तमी की धूम देखने को मिल रही है। बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में तो महा सप्तमी को लेकर विशेष उत्सव मनाया जाता है। वहां पारंपरिक ढाक की थाप, देवी प्रतिमाओं का भव्य श्रृंगार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी माता के मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है।

आस्था से जुड़ी मान्यता
भक्तों का विश्वास है कि मां कालरात्रि की सच्चे मन से पूजा करने पर जीवन के हर प्रकार के भय और संकट समाप्त हो जाते हैं। चाहे शत्रु बाधा हो या आर्थिक संकट, देवी कालरात्रि की कृपा से सब दूर हो जाता है। यही कारण है कि नवरात्रि की सप्तमी तिथि का महत्व विशेष रूप से बढ़ जाता है।

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