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नवरात्रि व्रत का पारण कब करें अष्टमी या नवमी में? जानें सही समय और विधि

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शारदीय नवरात्रि का उत्साह चरम पर है। आज 30 सितंबर 2025 को नवरात्रि का आठवां दिन है। भक्त मां दुर्गा की भक्ति में डूबे हैं। घर-घर में पूजा हो रही है। मंदिरों में भजन-कीर्तन की गूंज है। लेकिन एक सवाल हर व्रत रखने वाले के मन में आता है- नवरात्रि के व्रत का पारण कब किया जाए? अष्टमी पर या नवमी पर? ये सवाल इसलिए जरूरी है क्योंकि सही समय और विधि से पारण करने पर ही मां की पूरी कृपा मिलती है। 

अष्टमी या नवमी क्या है सही?
नवरात्रि में नौ दिन तक व्रत रखने की परंपरा है। लेकिन कई लोग सात या आठ दिन का व्रत रखते हैं। ये इस बात पर निर्भर करता है कि वो किस परंपरा को मानते हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि का व्रत पारण मुख्य रूप से नवमी तिथि को किया जाता है। ये दिन नवरात्रि का नौवां और आखिरी दिन होता है। नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। इस दिन कन्या पूजन के बाद व्रत तोड़ा जाता है। लेकिन कुछ जगहों पर खासकर उत्तर भारत में लोग अष्टमी पर भी व्रत खोलते हैं। ये वो लोग हैं जो मां महागौरी की पूजा के बाद कन्या पूजन करके व्रत पूरा मानते हैं। तो सवाल है- कौन सा सही? 

इसका जवाब है कि दोनों सही हैं। ये आपकी श्रद्धा और परिवार की परंपरा पर निर्भर करता है। अगर आपके घर में पीढ़ियों से अष्टमी पर पारण होता आया है तो उसका पालन करें। अगर नवमी पर करते हैं तो वो भी ठीक है। लेकिन शास्त्रों में नवमी का पारण ज्यादा प्रचलित है क्योंकि ये नवरात्रि का समापन दिन है। इस दिन पूजा पूरी होती है। मां दुर्गा की विदाई से पहले भक्त अपनी भक्ति का फल पाते हैं। 

पारण का सही समय क्या है?
पारण का समय तिथि पर निर्भर करता है। पंचांग के अनुसार, 30 सितंबर 2025 को अष्टमी तिथि सुबह से शुरू हो रही है। ये देर रात तक रहेगी। नवमी तिथि 1 अक्टूबर 2025 को शुरू होगी। अगर आप अष्टमी पर पारण कर रहे हैं, तो सुबह 11:45 से दोपहर 12:30 तक का अभिजीत मुहूर्त सबसे अच्छा है। इस समय कन्या पूजन करें। फिर भोजन करके व्रत तोड़ें। अगर नवमी पर पारण करना है तो 1 अक्टूबर को सुबह 10:30 से 11:15 तक का समय शुभ रहेगा। ध्यान दें कि पारण से पहले कन्या पूजन जरूरी है। बिना कन्या पूजन के व्रत अधूरा माना जाता है। अगर किसी कारण कन्या न मिलें तो घर की छोटी बच्चियों को पूजें। समय का ध्यान रखें। सूर्यास्त के बाद पारण न करें। ये शास्त्र सम्मत नहीं है। सुबह या दोपहर का समय चुनें। चंद्रमा इस समय तुला राशि में होगा, जो संतुलन और शांति देता है।

पारण की सही विधि
व्रत का पारण करने से पहले पूजा पूरी करें। सुबह स्नान करें। स्वच्छ कपड़े पहनें। सफेद या लाल रंग शुभ है। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। मां की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप जलाएं। फूल चढ़ाएं। चमेली या गुलाब के फूल मां को प्रिय हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। कम से कम एक अध्याय। मंत्र जपें- "ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।" इसे 108 बार बोलें। अब कन्या पूजन करें। 2 से 10 साल की 8 या 9 कन्याओं को बुलाएं। उनके पैर धोएं। आसन दें और पूड़ी, हलवा, चने का भोजन कराएं। दक्षिणा दें साथ ही छोटे उपहार भी दे सकते हैं। इसके बाद कन्याओं का आशीर्वाद लें। इसके बाद ही भोजन करें। पारण का भोजन सात्विक हो। खीर, फल, पूड़ी, सब्जी खाएं और मांस, मछली, लहसुन, प्याज से दूर रहें। पहले मां को भोग लगाएं फिर प्रसाद के रूप में खाएं। मन में मां का ध्यान रखें। ये विधि व्रत को पूरी तरह समर्पित करती है।

क्यों है मतभेद?
कुछ लोग अष्टमी पर पारण इसलिए करते हैं क्योंकि ये मां महागौरी का दिन है। इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। उत्तर भारत में खासकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अष्टमी को कन्या पूजन के बाद व्रत तोड़ा जाता है। मान्यता है कि मां इस दिन विशेष कृपा बरसाती हैं। शादी-विवाह की रुकावटें दूर होती हैं। धन-धान्य बढ़ता है। वहीं, नवमी पर पारण करने वाले मानते हैं कि नौ दिन की पूजा पूरी होने पर मां सिद्धिदात्री की कृपा से सिद्धियां मिलती हैं। ये दिन पूजा का समापन है। दक्षिण भारत और बंगाल में नवमी का पारण ज्यादा प्रचलित है। दोनों ही दिन शुभ हैं। बस अपनी श्रद्धा और परंपरा का ध्यान रखें।

व्रत का पारण सही समय पर करने से मां की कृपा मिलती है। मानसिक शांति बढ़ती है। घर में सुख आता है। स्वास्थ्य ठीक होता है और रोग दूर होते हैं। खासकर जो लोग शादी या नौकरी की चिंता में हैं उनके लिए ये दिन वरदान है। इसके साथ ही नवरात्रि व्रत से ग्रह दोष कम होते हैं। राहु-केतु का प्रभाव कम होता है। परिवार में एकता बढ़ती है। वहीं दूसरी ओर कन्या पूजन से समाज में बेटियों का सम्मान बढ़ता है। ये सिर्फ धार्मिक नहीं, सामाजिक कार्य भी है। खास टिप्स: पारण को बनाएं खाससाफ-सफाई: पारण से पहले घर और पूजा स्थल साफ करें। 

नवरात्रि में हवन और पूजा को सात्विक बनाए रखने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखें। भोजन पूरी तरह सात्विक करें, मांस, लहसुन, प्याज जैसी तामसिक चीजों से दूर रहें। हवन के बाद गरीबों को दूध, चावल या सफेद वस्त्र दान करें, ये पुण्य बढ़ाता है। मन को शांत रखें, गुस्सा या झगड़ा बिल्कुल न करें, क्योंकि शांति से ही मां की कृपा मिलती है। पूजा के बाद मां का ध्यान करें, उन्हें धन्यवाद दें और अपनी भक्ति को उन्हें समर्पित करें।

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