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नवरात्रि में घर पर करें हवन, मां की कृपा पाने की आसान विधि और शास्त्रीय नियम

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शारदीय नवरात्रि 2025 का जोश पूरे देश में चरम पर है। आज 30 सितंबर 2025 को अष्टमी का पावन दिन है। भक्त मां दुर्गा की भक्ति में डूबे हैं। घर-घर में पूजा, कन्या पूजन और भजन-कीर्तन हो रहे हैं। नवरात्रि का आठवां और नौवां दिन यानी अष्टमी और नवमी हवन के लिए सबसे खास माने जाते हैं। हवन से मां की कृपा बरसती है। घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है। लेकिन सवाल ये है कि घर पर हवन कैसे करें? शास्त्र क्या कहते हैं? किन बातों का ध्यान रखें?

हवन का महत्व
हवन नवरात्रि का अहम हिस्सा है। शास्त्रों में इसे यज्ञ का छोटा रूप माना गया है। हवन से अग्नि के जरिए मां तक हमारी प्रार्थनाएं पहुंचती हैं। ये न सिर्फ धार्मिक है बल्कि वैज्ञानिक भी। हवन की धूप से वातावरण शुद्ध होता है। नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। घर में सुख-शांति आती है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में अष्टमी पर मां महागौरी और नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा के बाद हवन करना सबसे उत्तम है। ये वो समय है जब मां की शक्ति चरम पर होती है। हवन से ग्रह दोष, रोग, और मानसिक तनाव कम होते हैं। शादी-विवाह की रुकावटें दूर होती हैं। धन-धान्य बढ़ता है। लेकिन घर पर हवन करने के लिए सही विधि और सावधानी जरूरी है। 

हवन का सही समय
पंचांग के अनुसार 30 सितंबर 2025 को अष्टमी तिथि सुबह से शुरू हो रही है और ये देर रात तक रहेगी। नवमी तिथि 1 अक्टूबर 2025 को शुरू होगी। अष्टमी पर हवन के लिए सबसे अच्छा समय सुबह 11:45 से दोपहर 12:30 तक का अभिजीत मुहूर्त है। इसके अलावा दोपहर 1:30 से 2:15 तक भी ठीक है। नवमी पर हवन के लिए 1 अक्टूबर को सुबह 10:30 से 11:15 तक का समय शुभ है। सूर्यास्त के बाद हवन न करें, ये शास्त्र सम्मत नहीं है। सुबह या दोपहर का समय चुनें। चंद्रमा तुला राशि में होगा, जो शांति और संतुलन देता है। अगर कन्या पूजन कर रहे हैं, तो पहले हवन करें, फिर कन्या पूजन।

घर पर हवन की आसान विधि
घर पर हवन करना मुश्किल नहीं है। बस सही सामग्री और विधि का ध्यान रखें। नवरात्रि के पावन अवसर पर मां दुर्गा की पूजा और हवन के लिए सबसे पहले घर की सफाई करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। एक छोटा तांबे या मिट्टी का हवन कुंड लें और हवन के लिए आम की लकड़ी, कपूर, घी, हवन सामग्री (लोबान, गुग्गुल, चंदन पाउडर), नारियल, लौंग, इलायची, सूखे मेवे, शहद, और पंचमेवा जैसी शुद्ध सामग्री जुटाएं। पूजा स्थल पर मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को लाल या पीले कपड़े पर पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करें। हवन कुंड में आम की सूखी लकड़ियां और बीच में कपूर रखें और संभव हो तो कुंड के चारों ओर गाय के गोबर से लीपें। पूजा शुरू करने से पहले स्नान करें, स्वच्छ लाल या सफेद वस्त्र पहनें, मां को चमेली या गुलाब के फूल अर्पित करें, दीप जलाएं, धूप दिखाएं और खीर या हलवे का भोग लगाएं। हवन शुरू करने के लिए कपूर से अग्नि प्रज्वलित करें, घी डालकर आग को बढ़ाएं, और "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा" मंत्र का 108 बार जप करते हुए प्रत्येक बार "स्वाहा" बोलकर घी और हवन सामग्री की आहुति दें। आप चाहें तो दुर्गा सप्तशती का मंत्र "सर्वं मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते स्वाहा" भी जप सकते हैं। अंत में नारियल में घी, लौंग, और कपूर डालकर पूर्णाहुति दें। हवन समाप्ति पर मां की आरती करें, भोग बांटें, प्रसाद ग्रहण करें, और हवन की राख को पवित्र मानकर माथे पर लगाएं। यह प्रक्रिया मां दुर्गा की कृपा और सकारात्मक ऊर्जा से घर को आलोकित करती है।

शास्त्र क्या कहते हैं?
शास्त्रों में हवन को यज्ञ का हिस्सा बताया गया है। दुर्गा सप्तशती में कहा गया है कि हवन से मां की शक्ति जागृत होती है। ये नौ दिनों की भक्ति का समापन है। अष्टमी पर हवन मां महागौरी को समर्पित होता है। ये शादी, सुख और धन के लिए शुभ है। नवमी पर हवन मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करता है। ये सिद्धि और मोक्ष देता है। शास्त्र कहते हैं कि हवन में मंत्रों का सही उच्चारण जरूरी है। गलत मंत्र से फल नहीं मिलता। अग्नि को शुद्ध रखें। गंदी या गीली लकड़ी न डालें। हवन में बैठने वाले लोग सात्विक हों। मांस, लहसुन, प्याज से दूर रहें। शास्त्रों में ये भी कहा गया है कि हवन के बाद दान देना चाहिए। चावल, दूध या सफेद वस्त्र दान करें। 

इन बातों का रखें ध्यान
हवन करते समय कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि मां दुर्गा की कृपा बनी रहे। सबसे पहले शुद्धता का ध्यान रखें। हवन से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें, गंदे कपड़े बिल्कुल न पहनें। हवन के लिए उपयोग की जाने वाली सभी सामग्री जैसे आम की लकड़ी, घी और हवन सामग्री, शुद्ध होनी चाहिए और बाजार से खरीदते समय उनकी शुद्धता की जांच करें। मंत्रों का उच्चारण सही करें । अगर उच्चारण में कठिनाई हो तो किसी पंडित से सहायता लें। हवन कुंड में अग्नि को धीरे-धीरे प्रज्वलित करें और तेज हवा में हवन करने से बचें। मन को शांत और सकारात्मक रखें, गुस्सा या नकारात्मक विचारों से दूर रहें। शास्त्रों के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को हवन नहीं करना चाहिए। हवन के बाद कन्याओं का पूजन करें और उन्हें भोजन कराएं, साथ ही गरीबों को दान देकर पुण्य अर्जित करें।

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