Breaking News
Nitish के घर बढ़ी हलचल, NDA में जोरदार चर्चाएं, Bengal तक गूंजे Bihar के नतीजे शनि की ढय्या से क्यों बिगड़ जाता है व्यक्ति का जीवन? जानिए कैसे करें बचाव और किन उपायों से मिलती है राहत Bihar चुनाव के बाद सियासी हलचल तेज, NDA की सुनामी से महागठबंधन बिखरा, Delhi से Patna तक हर कदम पर बढ़ी बेचैनी बेडरूम में नहीं लगाना चाहिए शीशा? किस दिशा में लगाएं और किन बातों का खास ख्याल रखें Nowgam थाने में ब्लास्ट, 9 की मौत से फैली दहशत, Delhi धमाका कनेक्शन में डॉक्टरों की चैटिंग ने बढ़ाई सिरदर्दी उत्पन्ना एकादशी पर करें ये खास उपाय, जीवन में हमेशा बनी रहेगी भगवान विष्णु की कृपा Delhi Blast से पहले डॉक्टरों की 200 मैसेज, 39 कॉल और धमाका, चैटिंग ने खोले विस्फोटक राज़! शनिदेव की कृपा चाहिए तो शनिवार को क्या करें? जानिए कौन से काम दिलाते हैं राहत और किन से बढ़ती हैं परेशानियां Nowgam Blast में क्या था राज, पुलिस स्टेशन कैसे बना मौत का मैदान? Faridabad कनेक्शन ने मचाया कोहराम! जांच में बड़ा ट्विस्ट उत्पन्ना एकादशी 2025: भगवान विष्णु की दिव्य शक्ति से जुड़ी तिथि, इस दिन क्या करना है शुभ और किन कामों से बचें Nitish के घर बढ़ी हलचल, NDA में जोरदार चर्चाएं, Bengal तक गूंजे Bihar के नतीजे शनि की ढय्या से क्यों बिगड़ जाता है व्यक्ति का जीवन? जानिए कैसे करें बचाव और किन उपायों से मिलती है राहत Bihar चुनाव के बाद सियासी हलचल तेज, NDA की सुनामी से महागठबंधन बिखरा, Delhi से Patna तक हर कदम पर बढ़ी बेचैनी बेडरूम में नहीं लगाना चाहिए शीशा? किस दिशा में लगाएं और किन बातों का खास ख्याल रखें Nowgam थाने में ब्लास्ट, 9 की मौत से फैली दहशत, Delhi धमाका कनेक्शन में डॉक्टरों की चैटिंग ने बढ़ाई सिरदर्दी उत्पन्ना एकादशी पर करें ये खास उपाय, जीवन में हमेशा बनी रहेगी भगवान विष्णु की कृपा Delhi Blast से पहले डॉक्टरों की 200 मैसेज, 39 कॉल और धमाका, चैटिंग ने खोले विस्फोटक राज़! शनिदेव की कृपा चाहिए तो शनिवार को क्या करें? जानिए कौन से काम दिलाते हैं राहत और किन से बढ़ती हैं परेशानियां Nowgam Blast में क्या था राज, पुलिस स्टेशन कैसे बना मौत का मैदान? Faridabad कनेक्शन ने मचाया कोहराम! जांच में बड़ा ट्विस्ट उत्पन्ना एकादशी 2025: भगवान विष्णु की दिव्य शक्ति से जुड़ी तिथि, इस दिन क्या करना है शुभ और किन कामों से बचें

विजयादशमी पर क्यों की जाती है शस्त्र पूजा, क्या है इसका महत्व, जानिए

top-news

विजयादशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस साल 2 अक्टूबर 2025 को पूरे देश में  इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाएगा। ये दिन सिर्फ दशहरा उत्सव तक सीमित नहीं है, बल्कि इस दिन आयुध पूजा यानी शस्त्र और औजारों की पूजा का भी खास महत्व है। दक्षिण भारत में इसे शस्त्र पूजा या सरस्वती पूजन भी कहते हैं। पौराणिक कथाओं से लेकर आधुनिक परंपराओं तक आयुध पूजा हमारे जीवन में मेहनत और शक्ति के उपकरणों के प्रति सम्मान का प्रतीक है।

शस्त्र पूजा का महत्व
शस्त्रों की पूजा विजयादशमी के दिन की जाती है जब भगवान श्री राम ने रावण का वध कर सत्य की जीत हासिल की थी। साथ ही मां दुर्गा ने महिषासुर को हराने के लिए अपने शस्त्रों का इस्तेमाल किया था। ये पर्व उन शस्त्रों को समर्पित है जो हमें शक्ति, सुरक्षा और आजीविका देते हैं। प्राचीन काल में क्षत्रिय और योद्धा अपने हथियारों की साफ-सफाई और पूजा करते थे ताकि युद्ध में विजय मिले और आज भी ये परंपरा जीवित है। आयुध पूजा सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं है बल्कि इस दिन विद्यार्थी अपनी किताबें, व्यापारी अपने बहीखाते, किसान अपने हल और कलाकार अपने औजार पूजते हैं। ये पूजा हमें सिखाती है कि हमारे काम के साधन ही हमारी सफलता का आधार हैं। ये एक तरह से उनके प्रति आभार और सम्मान जताने का तरीका है। खासकर दक्षिण भारत में लोग अपने वाहन, मशीनें और रोजमर्रा के उपकरणों को सजाकर मां दुर्गा और भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद लेते हैं।

कब करें पूजा?
पंचांग के मुताबिक इस साल विजयादशमी 2 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। दशमी तिथि 1 अक्टूबर को शाम 7:01 बजे शुरू होगी और 2 अक्टूबर को शाम 7:10 बजे खत्म होगी। आयुध पूजा के लिए सबसे शुभ समय है विजय मुहूर्त जो 2 अक्टूबर को दोपहर 2:09 से 2:56 बजे तक रहेगा। ये 47 मिनट का समय हर कार्य में सफलता दिलाने वाला माना जाता है। इस दौरान शस्त्र, औजार और किताबों की पूजा करने से मां दुर्गा और भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद मिलता है। 

आयुध पूजा की विधि
आयुध पूजा को विधि-विधान से करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। सबसे पहले अपने हथियार, औजार, किताबें या वाहन को अच्छे से साफ करें। इन्हें पूजा स्थल पर लाल कपड़े पर रखें। गंगाजल छिड़कें, फिर रोली, कुमकुम और चंदन से तिलक करें। गेंदे के फूल, माला और मिठाई अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर मां दुर्गा और भगवान विश्वकर्मा की आरती करें। प्रार्थना करें कि आपके अस्त्र-शस्त्र हमेशा शक्ति और सफलता दें। अगर आप विद्यार्थी हैं, तो अपनी किताबें और पेन पूजें। व्यापारी अपने तराजू या लैपटॉप और किसान अपने हल या ट्रैक्टर को सजाकर पूजा करें। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और परिवार के साथ उत्सव मनाएं।  

क्यों खास है ये परंपरा?
आयुध पूजा हमारे जीवन में अनुशासन और मेहनत की अहमियत बताती है। प्राचीन काल में योद्धा इस दिन अपने शस्त्रों को तेज करते थे ताकि वो युद्ध में अजेय रहें। आज ये परंपरा हमें अपने काम के प्रति समर्पण सिखाती है। दशहरा का ये पर्व हमें याद दिलाता है कि सही उपकरण और मेहनत से हर मुश्किल को हराया जा सकता है। खासकर दक्षिण भारत में लोग अपने वाहनों को फूलों से सजाकर सड़कों पर शोभायात्रा निकालते हैं, जो इस दिन की रौनक बढ़ाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *