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Sri Lanka में कैसा है रावण का वजूद? कहीं किस्से कहानियों में खो तो नहीं गया अस्तित्व, जानें यहां

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श्रीलंका का नाम आते ही मन में सबसे पहले आता है रामायण का वह प्रसंग जब प्रभु श्रीराम ने लंका के राजा रावण का वध किया और सीता माता को मुक्त कराया। रावण को भारत में जहां राक्षस, अत्याचारी और अहंकारी राजा के रूप में देखा जाता है, वहीं उसमें भी कोई दो राय नहीं है कि वो महान ज्ञानी और बहुत बड़ा शिव भक्त था। लेकिन श्रीलंका में उनके लिए दृष्टिकोण कुछ अलग है। यहां रावण को केवल राक्षस राजा के रूप में नहीं बल्कि एक महान शासक, विद्वान और रणनीतिकार के रूप में भी याद किया जाता है। सवाल यह है कि आज के दौर में श्रीलंका रावण को किस रूप में देखता है और क्या उसकी विरासत का वजूद अब भी है या फिर केवल वो कहानियों तक सीमित रह गया है।

रावण की छवि उसके देश श्रीलंका में 
भारत में दशहरे पर रावण दहन की परंपरा यह संदेश देती है कि बुराई का अंत निश्चित है। वहीं श्रीलंका में रावण को उतना नकारात्मक रूप से नहीं देखा जाता। यहां के कई लोग मानते हैं कि रावण एक महान ब्राह्मण और अद्वितीय विद्वान थे। जिन्होंने शिवभक्ति, आयुर्वेद, संगीत और विमानशास्त्र जैसी विद्याओं में महारथ हासिल की थी। दक्षिण श्रीलंका के कुछ समुदाय तो रावण को अपना पूर्वज मानते हैं। श्रीलंका में वह एक शक्तिशाली और योग्य शासक के रूप में जाना जाता है, जिसकी राजनीति और सामरिक क्षमता बेजोड़ थी।

श्रीलंका की संस्कृति में रावण का स्थान
आज भी श्रीलंका के कई हिस्सों में रावण से जुड़े पर्व और परंपराएं जीवित हैं। वहां के लोकगीतों, नृत्यों और कविताओं में रावण का नाम आता है। माना जाता है कि रावण एक महान वीणा वादक थे, और कुछ शोधकर्ता कहते हैं कि रावण हत्था नाम का वाद्ययंत्र का वादक था। इसके अलावा श्रीलंका में कई जगहों पर रावण से जुड़े स्थलों का जिक्र मिलता है। नुवारा एलिया, एला और त्रिंकोमाली जैसे क्षेत्रों में रावण से जुड़ी गुफाएं, झीलें और मंदिर आज भी स्थानीय आस्था का हिस्सा हैं।

क्या रावण का वास्तविक वजूद है?
इतिहासकारों में इस बात पर मतभेद हैं कि क्या वास्तव में रावण जैसा कोई राजा हुआ था या वह केवल पुराणों और रामायण का पात्र है। पुरातत्वविदों को अब तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है जो रावण के अस्तित्व को प्रमाणित कर सके। हालांकि श्रीलंका के कुछ शोधकर्ता और लोक इतिहासकार मानते हैं कि रावण वास्तव में लंका का एक शासक था लेकिन समय बीतने के साथ उसके जीवन की घटनाएं पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों में मिलकर रह गईं। आज श्रीलंका में रावण के महल या रावण की गुफाओं को लेकर कई दावे किए जाते हैं। नुवारा एलिया का सीता अम्मन मंदिर और एला की रावण फॉल्स ऐसी ही जगहें हैं, जहां स्थानीय लोग रावण और सीता माता की कथा से जोड़ते हैं।

आधुनिक श्रीलंका में रावण की छवि
आज के श्रीलंकाई समाज में रावण को एक मिश्रित छवि के रूप में देखा जाता है। कुछ लोग उन्हें अत्याचारी मानते हैं, जिन्होंने सीता माता का हरण कर अधर्म किया। लेकिन एक बड़ा तबका उन्हें एक शक्तिशाली और प्रगतिशील शासक मानता है जिसने लंका को समृद्धि और विज्ञान की ऊंचाइयों तक पहुंचाया। राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से भी रावण की विरासत का उपयोग होता है। श्रीलंका के कुछ समूहों ने रावण को राष्ट्रीय नायक की संज्ञा दी है और उनका तर्क है कि रावण को केवल एक नकारात्मक पात्र के रूप में दिखाना भारतीय दृष्टिकोण है। वहीं कुछ विद्वान कहते हैं कि रावण की गलतियां भी बड़ी थीं और उनका संतुलित मूल्यांकन ही सही है।

श्रीलंका की यादों में रावण
आज रावण का वजूद इतिहास के पन्नों में प्रमाणित रूप से नहीं दिखता, लेकिन उनकी कहानियां श्रीलंका की संस्कृति, लोककथाओं और पर्यटन स्थलों में जीवित हैं। रावण के नाम पर बने स्थान, कथाएं और धार्मिक आयोजन यह दर्शाते हैं कि वह श्रीलंका की स्मृति और पहचान का हिस्सा हैं। कह सकते हैं कि रावण श्रीलंका में आज भी जीवित है। न पत्थरों के अवशेषों में, न ऐतिहासिक अभिलेखों में बल्कि लोगों की कहानियों, आस्था और लोकस्मृति में।
श्रीलंका में रावण को आज भी केवल राक्षस राजा के रूप में नहीं, बल्कि एक बड़े व्यक्तित्व के रूप में देखा जाता है। एक ओर वह अधर्म और अहंकार का प्रतीक हैं तो दूसरी ओर ज्ञान, पराक्रम और समृद्धि के प्रतीक भी। उनका वास्तविक वजूद इतिहास में शायद धुंधला हो गया हो, लेकिन उनके किस्से आज भी श्रीलंका की धरती पर गूंजते हैं।

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