Sharad Purnima की रात क्यों है खास? क्या माता लक्ष्मी सच में आती हैं पृथ्वी पर, जानें
- Ankit Rawat
- 04 Oct 2025 10:01:05 PM
आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं, जिसे आम बोलचाल में कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय क्षीरसागर से माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन उनकी विशेष पूजा का विधान है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात साल में सबसे उजली और शुभ होती है। कहा जाता है कि चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत की वर्षा करता है। इस पावन रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और उन घरों को देखती हैं जहां लोग जागरण करते हैं। ये माना जाता है कि मां लक्ष्मी उन घरों में प्रवेश करती हैं जो स्वच्छ, श्रद्धा से सजे हों। इसलिए इस रात को कोजागरी कहा गया यानि कौ जागति? कौन जाग रहा है? जो जागता है और माता की पूजा करता है उसे धन, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
माता लक्ष्मी का पृथ्वी पर आगमन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की पावन रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। वे उन घरों को देखती हैं जहां लोग जागरण करते हैं। माना जाता है कि माता लक्ष्मी केवल उन घरों में प्रवेश करती हैं जो स्वच्छ और श्रद्धा से सजाए गए हों। यही कारण है कि इस रात को कोजागरी पूर्णिमा कहा गया, जिसका अर्थ है “कौन जाग रहा है?” यानी जो व्यक्ति पूरी रात जागता है और माता लक्ष्मी की पूजा करता है, उसे धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। पूजा के दौरान घर को साफ-सुथरा रखना, दीप जलाना और भजन-कीर्तन करना विशेष महत्व रखता है। इस दिन जागरण करना केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक तरह का आध्यात्मिक प्रयास माना जाता है। ये रात व्यक्ति की श्रद्धा और भक्ति को मजबूत करने के साथ ही घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने का प्रतीक है।
चांद की रोशनी में क्यों रखते हैं खीर?
शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाना और उसे खुले आसमान में चांदनी की किरणों में रखना एक सदियों पुरानी परंपरा है। इस खीर को अगली सुबह भोग के रूप में ग्रहण करना शुभ माना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से माना जाता है कि इस रात में चंद्रमा की किरणें अमृत तत्व और दिव्य ऊर्जा लिए होती हैं, जो खीर में अवशोषित हो जाती हैं। इसी कारण खीर इस रात में पवित्र प्रसाद बन जाती है।
शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाना और उसे खुले आसमान में चांदनी की किरणों में रखना एक सदियों पुरानी परंपरा है। इस खीर को अगली सुबह भोग के रूप में ग्रहण करना शुभ माना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से माना जाता है कि इस रात में चंद्रमा की किरणें अमृत तत्व और दिव्य ऊर्जा लिए होती हैं, जो खीर में अवशोषित हो जाती हैं। इसी कारण खीर इस रात में पवित्र प्रसाद बन जाती है।
दूध और चावल से बनी खीर को चांदनी में रखना इसे और भी पवित्र बनाता है। जो व्यक्ति इस प्रसाद को ग्रहण करता है, वह माता लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करता है। इसे खाने से घर में धन, सुख और समृद्धि आती है और परिवार के सभी सदस्य स्वास्थ्य और खुशहाली का अनुभव करते हैं।
चांदनी में खीर रखने के फायदे
वहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो शरद ऋतु में दिन और रात के तापमान में अंतर बढ़ जाता है। ऐसे मौसम में हल्का, ठंडा और पौष्टिक भोजन लेना अधिक लाभकारी होता है। खीर, जिसमें दूध और चावल शामिल होते हैं, इस मौसम में ऊर्जा देने वाला और ठंडक प्रदान करने वाला भोजन माना जाता है।
कुछ शोधों और मान्यताओं के अनुसार, जब खीर को खुले आसमान में चांदनी में रखा जाता है, तो उसमें जैव रसायनात्मक प्रतिक्रियाएं उत्पन्न हो सकती हैं। इससे खीर के पोषण गुण बढ़ जाते हैं और ये पाचन प्रणाली पर सकारात्मक असर डालती है। वैज्ञानिक दृष्टि से इसे इस प्रकार समझा जाता है कि चंद्रमा की किरणों में विशेष ऊर्जा होती है, जो खीर को संजीवनी जैसे गुण प्रदान करती है। परिणामस्वरूप जो व्यक्ति इसे ग्रहण करता है, उसका शरीर स्वास्थ्य लाभ महसूस करता है और मानसिक शांति भी मिलती है।
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