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बांके बिहारी मंदिर में दर्शन का समय बढ़ाने पर बवाल! गोस्वामी समुदाय के विरोध से भक्तों में नाराज़गी

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वृंदावन के मशहूर श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन का समय बढ़ाने को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। मंदिर की व्यवस्थाएं सुधारने के लिए सुप्रीम कोर्ट की गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष और इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज अशोक कुमार ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि सभी की सहमति के बावजूद बढ़ा हुआ दर्शन समय लागू नहीं हो सका। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि गोस्वामी समुदाय को अब रचनात्मक सोच अपनानी चाहिए और भक्तों की सुविधा को प्राथमिकता देनी चाहिए।

तिरुपति से लेकर काशी तक 15 घंटे खुलते हैं कपाट
रिटायर्ड जज अशोक कुमार ने सवाल उठाया कि जब तिरुपति बालाजी, काशी विश्वनाथ, वैष्णो देवी और कामाख्या मंदिर जैसे प्रमुख मंदिरों में रोज़ 12 से 15 घंटे तक दर्शन की सुविधा है तो बांके बिहारी मंदिर में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? उन्होंने बताया कि बांके बिहारी मंदिर में दर्शन का समय बेहद सीमित है, जिससे देशभर से आने वाले हज़ारों भक्तों को काफी निराशा होती है। कई बार तो लोग सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके भी भगवान के दर्शन नहीं कर पाते।

खुद गोस्वामियों ने रखा था प्रस्ताव
बैठक में शामिल समिति के चार गोस्वामी सदस्यों में से एक दिनेश गोस्वामी ने ही दर्शन का समय बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। जब ये प्रस्ताव आया तो भक्तों ने इसका स्वागत किया और तय समय पर मंदिर पहुंचे। लेकिन दुर्भाग्य से कुछ सेवायत गोस्वामियों ने इस बदलाव को लागू नहीं होने दिया। इससे भक्तों में भारी नाराज़गी देखी गई।

भगवान के बाल स्वरूप का तर्क
मंदिर के कुछ गोस्वामी इस फैसले का विरोध करते हुए तर्क देते हैं कि बांके बिहारी बाल स्वरूप में हैं और ज्यादा देर दर्शन होने से उन्हें कष्ट होगा। इस पर रिटायर्ड जस्टिस अशोक कुमार ने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर में भी भगवान बाल स्वरूप में हैं, फिर भी वहां 12 से 15 घंटे दर्शन होते हैं। देशभर के ज़्यादातर मंदिरों में यही होता है। उन्होंने कहा कि ये तर्क केवल बदलाव और सुधार के रास्ते में रुकावटें खड़ी करने के लिए दिए जा रहे हैं।

तहखाने और कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर भी चर्चा
वृंदावन में लक्ष्मण शहीद स्मारक भवन में हुई समिति की छठी बैठक में मंदिर परिसर में मौजूद बंद कमरों को खोलने और खुले स्थानों पर हो रहे निर्माण की जांच पर भी चर्चा हुई। इसके साथ ही बांके बिहारी कॉरिडोर प्रोजेक्ट की प्रगति पर भी बात हुई, जिससे मंदिर तक पहुंचना और भी सुगम हो सकेगा।

समिति ने की अपील
अंत में रिटायर्ड जस्टिस अशोक कुमार ने गोस्वामी समुदाय से अपील की है कि वो इस पवित्र कार्य में सहयोग करें और भक्तों के हित में रचनात्मक भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि बांके बिहारी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि श्रद्धा और विश्वास का केंद्र है। यहां व्यवस्थाएं बेहतर होंगी तो हर आने वाला भक्त संतुष्ट होकर लौटेगा।

बता दें कि भक्तों की बढ़ती भीड़ और उनकी सुविधा को देखते हुए दर्शन समय बढ़ाना समय की मांग है। गोस्वामी समुदाय का विरोध न केवल विकास में रुकावट है बल्कि भक्तों की आस्था पर भी चोट करता है। अब समय आ गया है जब परंपरा और व्यवस्थाओं के बीच संतुलन बनाकर आगे बढ़ा जाए।

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