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Karwa Chauth 2025: सुहागिनों की छलनी में सजे चांद के राज, जानिए व्रत का रहस्य और कब निकलेगा चांद

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करवाचौथ 2025 का दिन हर सुहागिन के लिए बेहद खास है। आज पूरे देश में प्यार, विश्वास और आस्था का ये त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। बाज़ारों में सजे ब्यूटी पार्लर, मेंहदी वाले हाथ और लाल साड़ियों से सजी महिलाएं करवाचौथ का रंग बिखेर रही हैं। चाहे शहर हो या गांव, हर जगह एक ही भाव है अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र की दुआ।

करवाचौथ की रौनक से सजे बाजार और घर
आज सुबह से ही महिलाओं ने सरगी के साथ व्रत की शुरुआत की। दिनभर बिना पानी और अन्न ग्रहण किए महिलाएं सजधज कर पूजा की तैयारियों में लगी रहीं। शाम होते ही घरों में थाली सजने लगेंगी, जिसमें छलनी, दीपक, करवा और मिठाइयां रखी जाती हैं। इस बार का करवाचौथ बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्री के नए जोड़ों के लिए भी पहला त्योहार है, इसलिए सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटी कपल्स की झलक भी खूब ट्रेंड कर रही है।

देशभर में चांद निकलने का समय
इस पावन व्रत में सबसे खास पल होता है जब चांद का दीदार हो। महिलाएं पूरे दिन इंतज़ार करती हैं कि कब आसमान में चांद निकले और वो अपने पति को छलनी से देखकर अर्घ्य अर्पित करें। इस बार देश के अलग-अलग शहरों में चंद्रोदय का समय कुछ इस प्रकार रहेगा

दिल्ली: 8:13 बजे शाम
मुंबई: 8:55 बजे
कोलकाता: 7:42 बजे
चेन्नई: 8:38 बजे
देहरादून: 8:05 बजे
चंडीगढ़: 8:09 बजे
जयपुर: 8:23 बजे
पटना: 7:48 बजे
जम्मू: 8:11 बजे
अहमदाबाद: 8:47 बजे
भोपाल: 8:26 बजे
लखनऊ: 8:02 बजे
नोएडा: 8:13 बजे
गुरुग्राम: 8:14 बजे
गोरखपुर: 7:52 बजे
भुवनेश्वर: 7:58 बजे

हर शहर में महिलाएं अपने-अपने मुहूर्त के अनुसार पूजा करेंगी और चांद के दीदार के बाद ही व्रत खोलेंगी।

पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
करवाचौथ की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम 7:38 बजे तक रहेगी। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का शुभ समय शाम 5:57 से 7:07 बजे तक रहेगा। परंपरा के अनुसार महिलाएं पहले करवा माता और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं, फिर चांद को अर्घ्य देकर अपने पति का चेहरा छलनी से देखती हैं। इसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोला जाता है।

करवाचौथ सिर्फ व्रत नहीं, एक वादा
करवाचौथ सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि दो लोगों के रिश्ते में अटूट प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। ये त्योहार बताता है कि प्यार में त्याग, आस्था और विश्वास सबसे मजबूत आधार हैं। इस दिन सजने-संवरने का मतलब सिर्फ परंपरा निभाना नहीं, बल्कि उस बंधन का उत्सव मनाना है जो जीवनभर साथ निभाने का वादा करता है।

बता दें कि करवाचौथ की रात सिर्फ चांद की ही नहीं बल्कि रिश्तों का भी साक्षी बनती है। इस बार जब आप छलनी से अपने जीवनसाथी को देखें, तो सिर्फ दुआ न करें । उस पल को महसूस भी करें, क्योंकि यही पल जीवनभर की याद बन जाते हैं।

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