दीपावली की रात मां लक्ष्मी के साथ क्यों होती है मां काली की पूजा, जानिए एक क्लिक में
- Shubhangi Pandey
- 13 Oct 2025 12:32:21 PM
दीपावली जिसे रोशनी का पर्व कहा जाता है। भारत में सबसे प्रमुख और पावन त्योहारों में से एक है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दीपावली की रात विशेष रूप से मां लक्ष्मी की पूजा के लिए जानी जाती है, क्योंकि यह मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को धन, समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद देती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दीपावली की रात केवल मां लक्ष्मी की नहीं, बल्कि मां काली की भी पूजा की जाती है? विशेष रूप से बंगाल, असम, ओडिशा और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में इस रात को "काली पूजा" के रूप में भी मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि आखिर मां लक्ष्मी के साथ मां काली की पूजा क्यों की जाती है और इसका धार्मिक व पौराणिक महत्व क्या है।
मां काली की पूजा का महत्व
मां काली को शक्ति की देवी माना जाता है। वे अंधकार, बुराई और अधर्म के विनाश की प्रतीक हैं। उनका स्वरूप उग्र होता है, जिसमें वे राक्षसों का नाश करती दिखाई देती हैं। मां काली की पूजा मुख्य रूप से नकारात्मक शक्तियों से रक्षा, भय का नाश और आत्मबल प्राप्त करने के लिए की जाती है। बंगाल में मान्यता है कि अमावस्या की रात को जब चारों ओर अंधकार फैलता है, तब मां काली की पूजा करके उस अंधकार और नकारात्मकता को दूर किया जा सकता है। इसलिए वहां दीपावली की रात को काली पूजा की परंपरा है।
मां लक्ष्मी और मां काली का संबंध
मां लक्ष्मी और मां काली, दोनों देवी महालक्ष्मी के ही विभिन्न रूप मानी जाती हैं, जो त्रिदेवियों में से एक हैं—सरस्वती, लक्ष्मी और काली। जहां लक्ष्मी देवी धन और वैभव की प्रतीक हैं, वहीं काली देवी शक्ति और सुरक्षा की। दीपावली की रात मां लक्ष्मी का स्वागत दीप जलाकर, घर की सफाई करके और मंत्रोच्चार के साथ किया जाता है ताकि वे घर में निवास करें। वहीं, मां काली की पूजा उस शक्ति को जागृत करने के लिए की जाती है जो घर-परिवार को दुष्ट शक्तियों, दुर्भाग्य और रोग-व्याधियों से बचा सके।
पौराणिक कथा
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार जब राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया था, तब देवताओं ने मां दुर्गा से प्रार्थना की। मां दुर्गा ने अपने उग्र रूप काली का अवतार लिया और राक्षसों का संहार किया। इस प्रकार मां काली को विनाश की देवी के रूप में पूजा जाने लगा। दीपावली की रात अमावस्या होती है, जो तांत्रिक पूजा और साधना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इसी कारण मां काली की पूजा इस रात को विशेष फलदायी मानी जाती है।
इस प्रकार दीपावली की रात मां लक्ष्मी के साथ मां काली की पूजा करना न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में संतुलन बनाए रखने की भी सीख देता है। एक ओर जहां हमें धन-वैभव की आवश्यकता होती है, वहीं दूसरी ओर सुरक्षा, आत्मबल और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा भी आवश्यक है। यही कारण है कि दीपों के इस पर्व पर दोनों देवियों की पूजा कर जीवन को समृद्ध और सुरक्षित बनाने की कामना की जाती है।
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