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Deepawali के दिन आखिर क्यों होती है मां काली की खास पूजा, वजह जान हो जाएंगे हैरान

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दीपावली एक ऐसा त्यौहार जो मौका है खुशियों का, रौशनी का, सुख- समृद्धि की प्रार्थना करने का । विजय उत्सव है भगवान राम की लंका विजय का। कहते हैं कि इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश इस दिन अपने भक्तों को यश, समृद्धि और वैभव का वर देती हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजन का खास महत्व है। केवल भारत नहीं बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। लेकिन बहुत ही कम लोग ऐसे हैं जो ये जानते हैं कि दीपावली की रात मां काली की पूजा का भी विशेष महत्व है। 

देश के कई हिस्सों में होती है काली पूजा
दीपावली के इस पर्व पर जहां एक ओर लक्ष्मी पूजा का महत्व है, लेकिन कई जगहों पर आज के दिन मां काली की विशेष पूजा की जाती है।खास कर के बंगाल, ओडिशा और असम में दीपावली के दिन मां काली की पूजा होती है। सदियों से इस परंपरा को निभाया जा रहा है। इसका जितना धार्मिक महत्व है उतना ही ऐतिहासिक भी। खासकर के पश्चिम बंगाल में लोगों की आस्थाएं इससे विशेष रूप से जुड़ी हैं।
 
मां ने क्यों धारण किया काली स्वरूप?
माता का सबसे उग्र स्वरूप मां काली का  है। मां के इस रूप को विनाशक और उग्र माना जाता है। कहते हैं कि माता ने दुष्टों के संहार के लिए काली का रूप धरा था। मां काली अहंकार, अधर्म और अत्याचार का नाश करने वाली हैं। कहते हैं कि मां काली भक्तों के हर दुख, भय और शोक को निगल जाती हैं। माता का स्वरूप भयानक जरूर है लेकिन वो भक्तों के हर दुख का नाश करने वाली हैं।

दीपावली को हुआ था मां काली का जन्म
कथाओं के साथ ऐसा माना जाता है कि मां काली का जन्म दीपावली की अमावस्या की काली रात को ही हुआ था। देवी पुराण में इसका वर्णन भी है कि जब-जब राक्षसों का अत्याचार बढ़ा और देवता असहाय हुए तो माता पार्वती ने दुष्टों के संहार के लिए काली का रूप धरा। मां काली ने ही राक्षसों के साथ युद्ध किया और उनका संहार किया। इसलिए भी दीपावली की रात को मां काली के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। 

तंत्र साधना के लिए खास है दीपावली की रात
दीपावली अमावस्या की रात को मनाई जाती है। ये रात तंत्र साधना के लिए खास मानी जाती है। माता काली को तंत्र विद्याओं की देवी कहा जाता है। इसलिए इस दिन को तंत्र साधना के लिए उचित रात माना जाता है। इस दिन मां काली की तांत्रिक विधि से पूजा करने पर माता भक्त की हर मनोकामना पूरी करती हैं। खासकर बंगाल में इस दिन तंत्र साधना का विशेष महत्व होता है। इतिहासकार बताते हैं कि 18वीं सदी में राजा कृष्ण चंद्र ने इसकी शुरूआत की थी। उसके बाद से ही पश्चिम बंगाल में दीपावली को विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता है। जगह -जगह भव्य पंडाल लगाए जाते हैं और माता काली की विशेष पूजा होती है।

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