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कैसे बने एक गुमनाम संत से Premanand Maharaj, जिनकी आज दुनिया है दिवानी, जानिए उनके खास सफर के बारे में

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भारत आस्था, परंपरा और विश्वास का देश है। जहां भगवान की तो पूजा होती ही है लेकिन ईश्वर से मिलन कराने वाले साधू संतों का नाम भी बड़ी आस्था से लिया जाता है। भारत में कई धार्मिक गुरू हैं जिनके हजारों अनुयायी भी हैं। ये संत हमें भगवान को पाने के रास्तों के बारे में तो बताते ही हैं साथ ही इस बात का भी ज्ञान कराते हैं कि इस सांसारिक जीवन की बाधाओं को ऐसे दूर किया जाए। इसीलिए इन संतों का नाम पूरे आदर, श्रद्धा और भक्ति से लिया जाता है। इन संतों में से एक हैं प्रेमानंद महाराज ।

मधुर वाणी और गहरी वाणी
प्रेमानंद महाराज का नाम आज कौन नहीं जानता। देश- विदेश में उनके हजारों की तादात में अनुयायी हैं। फिल्म हो, टीवी हो या फिर स्पोर्ट्स जगत तमाम हस्तियां प्रेमानंद महाराज से एकांतिक वार्तालाप करने के लिए जरूर पहुंचती हैं। भागवत के किस्से, मधुर और सधी हुई वाणी, उनकी जीवनशैली हर किसी के दिल में जगह बना लेती है। आज उनका नाम देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी है। लेकिन एक वक्त ऐसा भी है जब प्रेमानंद महाराज एक गुमनाम साधक थे । लेकिन आज उनको कौन नहीं जानता। 

गुमनाम संत से कैसे बनें प्रेमानंद महाराज
प्रेमानंद महाराज का जन्म कानपुर में एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन में ही प्रेमानंद महाराज अपनी उम्र के बच्चों से काफी अलग थे। बचपन से ही उनका झुकाव भगवत भक्ति की ओर ज्यादा था। इसीलिए वो कम उम्र में वाराणसी में जाकर भगवान शिव की भक्ति में रम गए । इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के वृंदावन का रूख किया। जहां वो भक्ति और वैराग्य की राह में निकल पड़े। सालों तक उन्होंने गुमनामी भरा जीवन जिया और राधा -कृष्ण की भक्ति में ऐसा रम गए कि फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

प्रेमानंद महाराज ने जब भागवत कथा सुनानी शुरू की तो लोग उनको सुनने में लीन हो गए। उनकी सौम्य वाणी, विनम्रता और भगवान श्रीकृष्ण से उनका प्रेम हर सुनने वाले को मंत्रमुग्ध कर गया। उनके प्रवचन और कथाओं को सुनने के लिए देश विदेश से लोगों की भीड़ इकट्ठा होने लगी। 

सोशल मीडिया से घर-घर में पहुंच
पिछले तीन चार सालों में सोशल मीडिया ने प्रेमानंद महाराज की बढ़ती लोकप्रियता को देश के घर-घर तक पहुंचा दिया। उनके प्रवचन, कथा और भजनों को लोग करोड़ों बार देखे चुके हैं। खास बात ये है कि प्रेमानंद महाराज की वाणी युवा वर्ग को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। 

प्रेमानंद महाराज की दोनों किडनियां खराब हैं। लगभग हर रोज उनकी डायलिसिस चलती रहती है। उन्होंने अपनी दोनों किडनियों का नाम भी राधा और कृष्ण ही रखा हुआ है । बता दें कि उनका मानना है कि उनका जीवन ईश्वर की ही देन है।

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