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राजस्थान के अजमेर में स्थित अजमेर शरीफ दरगाह दुनिया भर में काफी मशहूर है। विश्व भर से श्रद्धालु यहां आते हैं। गरीब नवाज ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की ये दरगाह देश के पवित्र स्थलों में मानी जाती है। यहां दुनियाभर की जानी-मानी हस्तियां आकर अदब से सर झुका चुकी हैं। ये बेहद पवित्र स्थल माना गया है। दरगाह शरीफ में निजाम गेट, बुलंद दरवाजा, औलिया मस्जिद, दरगाह श्राइन, जामा मस्जिद और महफिलखाना भी मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं।

ख्वाजा गरीब नवाज़ दरगाह
ख्वाजा गरीब नवाज़ दरगाह को अजमेर शरीफ़ के नाम से जाना जाता है। ये दरगाह भारत के राजस्थान के अजमेर में है। ये दरगाह प्रसिद्ध संत मोइनुद्दीन चिश्ती का विश्राम स्थल है। मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह एक विश्वव्यापी वक्फ है। जो भारत सरकार के दरगाह ख्वाजा साहब अधिनियम, 1955 के तहत शासित एक इस्लामी कब्रिस्तान है।

अजमेर शरीफ दरगाह की संरचना
अजमेर शरीफ दरगाह मध्य अजमेर रेलवे स्टेशन से 2 किमी दूर तारागढ़ पहाड़ी के नीचे स्थित है। इसमें दो आंगनों के चारों ओर स्थित कई सफेद संगमरमर की संरचनाएं शामिल हैं, साथ ही हैदराबाद के निज़ाम द्वारा उपहार में दिया गया एक विशाल दरवाजा और मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा निर्मित अकबरी मस्जिद भी शामिल है। इसमें संत की गुंबददार कब्र है। हर साल, अकबर और उसकी पत्नी बेटे की चाहत में की गई मन्नत को पूरा करने के लिए आगरा से चलकर यहां आते थे। अजमेर शरीफ दरगाह राजस्थान में घूमने के लिए कई स्थानों में से एक है।

अजमेर शरीफ के नियम
ख्वाजा के दर पर साफ-सुथरे होकर जाना चाहिए। बिना हाथ-पैर धोए अंदर नहीं प्रवेश करना चाहिए। दरगाह के पास बने जलहरे में हाथ-पैर धोना चाहिए।
अजमेर दरगाह में आपकी पोशाक धार्मिक स्थलों में जाने लायक होनी चाहिए। अजमेर शरीफ में ख्वाजा की दरगाह पर किसी को भी सिर खोलकर नहीं जाना चाहिए।
मजार में दर्शन के लिए इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे मोबाइल, कैमरा आदि ले जाने की मनाही होती है।

अजमेर के धार्मिक स्थल

ब्रह्म जी का मंदिर: अगर आप अजमेर गए है तो पुष्कर के जगतपिता ब्रह्मा मंदिर जरूर जाए। राजस्थान के अजमेर में जगतपिता ब्रह्मा मंदिर भगवान ब्रह्मा को समर्पित है। पुष्कर झील के किनारे 52 घाट हैं और ये मंदिर पुष्कर का प्रमुख तीर्थस्थल है।

गुरुद्वारा सिंह सभा: अजमेर का गुरुद्वारा सिंह सभा भी पर्यटकों के घूमने के लिए बहुत अच्छा स्थान है। यह पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। यहां सिक्ख गुरु नानक देव जी ने 1509 में पुष्कर सरोवर में डुबकी लगाकर इसी जगह पर विश्राम किया था। यहां जगह काफी शांत है।

अजमेर की एतिहासिक इमारतें और झीलें
अजमेर धार्मिक स्थलों के साथ-साथ अपनी सदियों की पुरानी एतिहासिक इमारतों के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। अजमेर में अढ़ाई दिन का मकबरा, अकबर महल म्यूजियम, तारगढ़ का किला और सोनीजी की नसियांम यानी लाल मंदिर को भी देख सकते हैं। इसके अलावा, यहां की सुंदर झीलें आपका मन मोह लेंगी।

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