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Dhanteras 2025: इस बार क्या और चमकेगा सोना, पिछले पांच सालों में कितना बढ़ा भाव ?

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कल से दीपावली का पांच दिन का त्यौहार शुरू होने वाला है। कल यानी 18 अक्टूबर को धनतेरस है। इस दिन खास तौर पर सोने की खरीदारी की जाती है। हर बार की तरह इस बार भी ये उम्मीद जताई जारही है कि सोने के दाम रिकॉर्ड स्तर तक उछलेंगे। बता दें कि सोने की खरीद इस दिन करना केवल परंपरा नहीं है बल्कि ये एक लांग टाइम इनवेस्टमेंट की तरह भी माना जाता है। साथ ही साथ लंबे समय से ये भारतीय परिवारों के लिए ये इनवेस्टमेंट का एक बड़ा तरीका माना जा रहा है।

पिछली बार किया था बेहतर प्रदर्शन
अगर 2024 के धनतरेस के त्यौहार की बात करें तो सोना मजबूत स्थिति में देखने को मिला था। केंद्रीय बैंकों के प्रदर्शन, बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता सोने की कीमतों में तेज़ी आ रही है। इसके अलावा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें भी सर्राफा बाजार की लोकप्रियता बढ़ा सकते हैं।

पिछली चार धनतेरस में सकारात्मक रिटर्न
बता दें कि पिछली चार साल धनतेरस के मौके पर सोने के क्षेत्र में काफी सकारात्मक रिटर्न भी दर्ज किया गया। वहीं 2020 में 5% की गिरावट देखी गई थी। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सोने के रिकॉर्ड नई ऊचाइयां छू सकते हैं, जिससे यकीनन सर्राफा बाजार में काफी रौनक देखने को मिल सकती है। 

शुक्रवार को भी कीमतों में उछाल
बता दें कि सोने की कीमतें शुक्रवार को 1.69% बढ़कर 132,052 रुपये के आंकड़ें को छू रहे हैं। बता दें कि इंवेस्टर्स की मांग भी इस वक्त पीक पर दिख रही है। दूसरी ओर सोने के बार और सिक्कों की डिमांड भी काफी बढ़ चुकी है। दूसरी तिमाही में साल दर साल 11% बढ़कर 307 टन पर पहुंच गया, जो 12 साल के सबसे ऊपरी स्तर तक पहुंच चुकी है ।

पिछली धनतेरस कितनी बिक्री हुई ?
पिछले धनतेरस पर लगभग 25-30 टन सोने की बिक्री हुई थी। मौद्रिक रूप से बिक्री मूल्य में लगभग 12-18% की बढ़ोत्तरी देखी गई। बता दें कि इस बार जिस तरह से सोने के दाम बढ़ रहे हैं तो सोने की हल्की डिजाइन वाली ज्वैलरी और सोने के सिक्कों के दाम बढ़ रहे हैं। 

सोने के दाम बढ़ने के पीछे की वजह

सोने के दाम बढ़ने के पीछे एक्सपर्ट्स कई वजह बता रहे हैं-

भारतीय परिवारों में सोने में निवेश करने का इंट्रेस्ट बढ़ता जा रहा है। खास कर से सोने के सिक्कों और ज्वैलरी को लेकर। 

सेंट्रल बैंक सोने की कीमतों में गिरावट होने पर सोना जमा करते हैं। पिछले साल भंडार में 1,180 टन से ज़्यादा सोना इकट्ठा हुआ था।

पिछले साल सोने के दाम का रिकॉर्ड काफी पीक पर था जिस वजह से खरीदारी काफी धीमी थी।

अमेरिका और भारत के बीच खींचतान जारी है। ये भी इसके पीछे एक बड़ी वजह है।

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