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दुनिया में जगतपिता ब्रह्मा का इकलौता मंदिर, जानिए कहां है मंदिर और क्यों है बाकी मंदिरों से अलग

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राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो अपने इतिहास को जिंदा बनाए हुए है. इतिहास के पन्नों पर राजस्थान का नाम कई शूर वीरों ने अपने बलिदान से स्वर्णिम अक्षरों में लिखा है. राजस्थान में जितने मशहूर राजा, रानियों के किस्से और उनके महल हैं उतने ही खास यहां एक धार्मिक स्थल भी हैं. प्राचीन कथाओं में ऐसी भी मान्यता है कि राजस्थान को स्वयं जगतपिता ब्रह्मा ने ही रचा था. इसीलिए पुष्कर का धार्मिक इतिहास भी काफी महत्वपूर्ण है. यहां की वास्तुकला और यहां की कहानियां आपको मंत्रमुग्ध कर देंगी. अगर आप एकांत की तलाश में हैं तो एक बार पुष्कर जरूर आइएगा.

पुष्कर केवल तीर्थ नहीं एक अहसास है
ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचनाकार माना जाता है. जिनका एक मात्र मंदिर है राजस्थान के पुष्कर में जो कि विश्वविख्यात है. 52 घाटों से सजी हुई पवित्र झील और मंदिर की छटा देखते ही बनती है. शाम के समय एक साथ जब मंदिरों की घंटियां बजती हैं तो पूरी नगरी पवित्रता के सुरों के साथ गूंजने लगती है.

तीर्थराज पुष्कर और पुष्कर सरोवर
पुष्कर सरोवर को सभी तीर्थों का राजा कहा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस सरोवर में डुबकी लगाने से तीर्थयात्रा पूरी हो जाती है. 10 मीटर गहरी यह झील 500 से अधिक मंदिरों और 52 घाटों से घिरी हुई अर्द्धगोलाकार रूप में स्थित है.  

जगतपिता ब्रह्मा का मंदिर
दुनिया में सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी का एक ही मंदिर है दो पुष्कर में स्थित है. संगमरमर को तराश कर बना यह मंदिर चांदी के सिक्कों से जड़ा हुआ है. मंदिर के गर्भगृह में ब्रह्मा जी की चतुर्मुखी मूर्ति स्थापित है. इस मंदिर की खासियत ये है कि इस मंदिर में भगवान सूर्य की प्रतिमा प्रहरी के रूप में है जिसमें सूर्य ने जूते पहने हुए हैं.

फूलों का है बड़ा कारोबार
पुष्कर फूलों के व्यापार को लेकर भी काफी समृद्ध है. यहां के गुलाब के फूलों और गुलाब के इत्र की खुशबू के साथ गुलकंद का स्वाद भी लाजवाब है. पुष्कर से सबसे ज्यादा गुलाब का फूल अरब देशों में भेजा जाता है.

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