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केदारनाथ धाम के कपाट बंद, पालकी में विराजमान होकर भगवान पहुंचेंगे ऊखीमठ

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उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित केदारनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। भगवान महाकाल की विदाई के दौरान सेना के बैंड ने पारंपरिक धुन बजाई। इस पावन क्षण के साक्षी बनने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मंदिर पहुंचे। भगवान की पालकी केदारनाथ मंदिर से 55 किलोमीटर की पैदल यात्रा तय करके 25 अक्टूबर को उखीमठ पहुंचेंगे। यहां अगले छह महीनों तक भगवान अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान रहेंगे। 25 अक्टूबर से भक्त ओंकारेश्वर मंदिर में भी भगवान के दर्शन कर सकेंगे।

2 मई को खुले थे कपाट 
 केदारनाथ धाम के कपाट इस साल 2 मई को खुले थे। अब तक 17 लाख 45 हज़ार से ज़्यादा श्रद्धालु भगवान केदारनाथ के दर्शन कर चुके हैं। 2013 की आपदा के बाद यह दूसरा अवसर है जब इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यात्रा पर निकले हैं। 

कपाट बंद होने की प्रक्रिया सुबह 4 बजे शुरू हुई मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने बताया कि मंदिर को सुबह 2:30 बजे जनता के लिए बंद कर दिया गया जिसके बाद सफाई की गई। भगवान केदारनाथ की समाधि पूजा सुबह 4 बजे की गई, जो सुबह 6 बजे तक जारी रही। सुबह 6 बजे गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए गए और उसके बाद सुबह 8:30 बजे मंदिर के पूर्व दिशा में स्थित मुख्य द्वार के कपाट बंद कर दिए गए। चल मूर्ति की पालकी 25 अक्टूबर को पंच केदार पीठ पहुंचेगी। जिसके बाद भक्त अगले छह महीनों तक भगवान केदारनाथ के दर्शन के लिए उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर जा सकेंगे।

भगवान की पालकी यात्रा का कार्यक्रम
कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह पालकी अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी।

पहला दिन (23 अक्टूबर): धाम से रामपुर तक 26 किमी की यात्रा, वहीं रात्रि विश्राम।

दूसरा दिन (24 अक्टूबर): रामपुर से फाटा होते हुए गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर तक 17 किमी की यात्रा।

तीसरा दिन (25 अक्टूबर): गुप्तकाशी से उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर तक 12 किमी की यात्रा।

तीन दिन की 55 किलोमीटर की इस यात्रा के बाद भगवान महाकाल को शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ में विराजमान किया जाएगा।

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